दूल्हा-दुल्हन के बीच उम्र का फासला आखिर क्यों होता है जरूरी, खुल गया बड़ा रहस्य?

 
दूल्हा-दुल्हन के बीच उम्र का फासला आखिर क्यों होता है जरूरी, खुल गया बड़ा रहस्य?
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शादी-विवाह का हमारी जिंदगी में महत्व ही अलग होता है। शादी केवल दो लोगों के बीच का संबंध नहीं बल्कि दो परिवारों का मेल माना जाता है। ऐसे में अक्सर घरवाले शादी से पहले लड़के और लड़की की उम्र पर विचार करते हैं। अगर बात करें शादी में उम्र के अंतर को लेकर तो आपको ज्यादात्तर कपल्स में उनके पति की उम्र पत्नी से ज्यादा ही मिलेगी। जी हां, अक्सर देखा जाता है कि शादीशुदा जोड़ों में लड़कों की उम्र अधिकत्तर लड़की से ज्यादा ही होती है।

दूल्हा-दुल्हन के बीच उम्र का फासला आखिर क्यों होता है जरूरी, खुल गया बड़ा रहस्य?

शादी में उम्र का कितना अंतर होना चाहिए इस पर लोगों के क्या विचार होते हैं और क्यों हिंदू ग्रंथों के अनुसार शादी के लिए लड़के की उम्र ज्यादा होनी चाहिए। इन्हीं सब बातों को लेकर आज हम आपके लिए ये लेख लिख रहे है, ध्यानपूर्वक पढ़े-

दूल्हा-दुल्हन के बीच उम्र का फासला आखिर क्यों होता है जरूरी, खुल गया बड़ा रहस्य?

सीधे तौर पर बताए तो शादी करने के लिए लड़के और लड़की के मैच्योरिटी लेवल में काफी फर्क होता है, इसिलिए कहीं ना कहीं ज्यादातर घरवाले लड़की की उम्र से बड़ा लड़का ढूढ़ते हैं। एक बात ये भी है कि लड़कियां जिम्मेदारियों को लेकर शादी से पहले ही काफी हद तक खुद को तैयार कर लेती है, तो फिर भावनात्मक रूप से जो लड़की को समझ सकें ऐसा लड़का घरवालों की पहली पसंद होता है, और सीधी सी बात है बड़ी उम्र यानी समझदारी और गुणों का अच्छा मेल। ये भी एक मुख्य कारण है जिसमें की घरवाले बेटी की शादी उम्र में बड़े लड़के से कराना चाहते है।

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क्योंकि एक सही उम्र का लड़का अपनी उम्र अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझ पाएगा। इसके साथ ही अगर पति उम्र में बड़ा होता है तो पत्नी उसके फैसलों को रिस्पेक्ट करती है और दोनों के बीच प्यार व सम्मान बना रहता है। साथ ही साथ दोनों एक-दूसरे को भावानात्मक रूप से अच्छे से समझते है।

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ग्रंथों के अनुसार क्या है मान्यता?

बता दें कि शादी को लेकर हिंदू ग्रंथों में भी कई मान्यताएं है जिसमें बताया गया है कि बड़ी उम्र वाले लड़के से शादी करने से दोनों के बीच सम्मान की भावना तो रहती ही है साथ ही पति-पत्नी एक दूसरे का संकट के समय में भरपूर सहयोग करते है। हिन्दू ग्रंथों में विवाह का अर्थ विशेष रूप से वहन करना होता है। शास्त्रों की मानें तो अगर व्यक्ति विवाह नहीं करता है तो वह पितृऋण नहीं चुका सकता है। इसलिए विवाह को ग्रंथों में बड़ा ही विशेष महत्व दिया गया है। जानकारी दें दें कि हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक अगर लड़के की उम्र लड़की से अधिक होती है तो दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और घर परिवार में सुख - शांति बनी रहती है।

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