Unique Villages of India : अजीबोगरीब हैं भारत के ये गांव, इनके बारे में जान आप भी रह जाएंगे हैरान, आइये जाने क्या है इनकी खासियत

भारत में वैसे तो अनेक गांव है। हर गांव का अपना एक कल्चर है। हर जगह की संस्कृति अलग है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे गांव आज भी है जिनकी संस्कृति बिलकुल अलग है।
 
Unique Villages of India : अजीबोगरीब हैं भारत के ये गांव, इनके बारे में जान आप भी रह जाएंगे हैरान, आइये जाने क्या है इनकी खासियत
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Unique Villages of India : भारत में वैसे तो अनेक गांव है। हर गांव का अपना एक कल्चर है। हर जगह की संस्कृति अलग है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे गांव आज भी है जिनकी संस्कृति बिलकुल अलग है। वह का रहन सहन भी बिलकुल अलग है। आइये जानते हैं भारत के कुछ ऐसे ही गांव के बारे में।

मटूर गांव

कर्नाटक के हरे-भरे शिमोगा जिले में बसा मटूर बारहमासी तुंगा नदी के तट पर बसा एक छोटा सा गांव है। मटूर के ग्रामीण जो वैदिक जीवन शैली का नेतृत्व करते हैं, वह रोजाना प्राचीन ग्रंथों का जाप करते हैं और संस्कृत में बातचीत करते हैं।

लोंगवा गांव

लोंगवा नागालैंड के मोन जिले में घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी गांव है। यहां कोंयाक आदिवासी रहते हैं। इन्हें बेहद ही खूंखार माना जाता है। अपने कबीले की सत्ता और जमीन पर कब्जे के लिए वो अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाइयां किया करते थे। कहते हैं कि कोयांक आदिवासियों में मुखिया प्रथा चलती है।

यह मुखिया कई गांवों का प्रमुख होता है। उन्हें एक से ज्यादा पत्नियां रखने की छूट है। भारत और म्यांमार की सीमा इस गांव के मुखिया के घर के बीच से होकर निकलती है। इसलिए कहा जाता है कि यहां का मुखिया खाना भारत में खाता है और सोता म्यांमार में है।

बड़वा कलां गांव

बिहार में स्थित इस गांव को बेचलर ऑफ़ विलेज के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि 2017 के बाद यहाँ पहली बार बरात आयी थी।

शनि सिंगणापुर गांव

शनि शिंगणापुर को विश्व स्तर पर एकमात्र गांव के रूप में जाना जाता है जहां घरों में दरवाजे और ताले नहीं लगाए जाते हैं और सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि गांव चोरी भी नहीं होती है।

यहां तक कि गांव में राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की शाखा के भी दरवाजों पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव द्वारा सुरक्षित गांव में चोर चोरी नहीं कर सकते, और जो कोई भी चोरी करने का प्रयास करता है उसे दैवीय दंड मिल जाता है।

हिवारे बाजार गांव

महज 305 परिवारों का गांव और इनमें से 80 लोग करोड़पति। बेशक यह बात चौंकाने वाली लगती है, लेकिन सच है। इस गांव में एक भी मच्छर नहीं है। गांव के सरपंच एक भी मच्छर ढूंढने पर 400 रुपए का इनाम देते हैं।

इस गांव में न पानी की कमी है, न हरियाली की। गर्मियों में इस गांव का तापमान आसपास के गांवों के मुकाबले 3-4 डिग्री कम होता है। यह गांव, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पड़ता है। इस गांव का नाम हिवरे बाजार है।

शेतपाल गांव

शेतपाल एक ऐसा गांव है, जहां सांपों की आवाजाही पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। दिलचस्प बात तो ये है कि यहां के सांप 2,600 से अधिक ग्रामीणों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते है। दरअसल कोबरा का भी हर घर में अच्छे से स्वागत किया जाता है। तो यहां के लोग न तो नाग से डरते हैं और न ही सांप यहां के लोगों को चोट पहुंचाते हैं।

खोनोमा गांव

यह गांव कोहिमा से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है। आप जब इस गांव में जाएंगे, तो चारों तरफ आपको हरियाली ही हरियाली नजर आएगी। यह भारत का पहला ग्रीन वीलेज है।

यहां अंगामी आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार यहां की कुल 424 परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी 1,943 है। ये आदिवासी अपनी बहादुरी और मार्शल आर्ट्स के लिए जाने जाते हैं। यहाँ शिकार और अवैध कटाई पर प्रतिबंध है।