Mughal Harem: हरम कि महिलाओं की बीमारी हकीम ऐसे करते थे जांच , बिना हाथ लगाए बता देते थे बीमारी का नाम

भारत देश में मुग़लों ने सालों तक राज किया है। मुग़ल बादशाहों की तरह-तरह की कहानियां प्रचलित हैं
 
Mughal Harem: हरम कि महिलाओं की बीमारी हकीम ऐसे करते थे जांच , बिना हाथ लगाए बता देते थे बीमारी का नाम
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Mughal Harem:  भारत देश में मुग़लों ने सालों तक राज किया है। मुग़ल बादशाहों की तरह-तरह की कहानियां प्रचलित हैं और इनमें से हरम की कहानियां भी लोगों को बड़े चाव से पढ़ते हैं। मुग़ल सम्राज्य के समय हरम बादशाहों की मौज मस्ती की जगह मानी जाती थी, यहां पर उन्हें ख़ुशी सुकून मिलता था, और कोई भी गैर पुरुष की एंट्री बैन थी।

किन्नरों की तैनाती: मुग़ल हरम एक ऐसी जगह होती थी, जहां पर महिलाओं को शाही व्यवस्थाएं दी जाती थी। यहां तक कि मुग़ल शासकों की बेगमें भी हरम में ही रहती थीं। कोई और वहां पर एंट्री न ले सके, इसके लिए वहां पर किन्नरों की तैनाती की जाती थी। कहा जाता है कि अकबर के बाद जहांगीर ही वह शासक था, जो कि शराब पीने का आदी था ही, लेकिन सबसे ज्यादा अपना समय हरम की औरतों के बीच गुजारता था।

बहुत सख्त थे हरम के नियम: लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुग़ल हरम के कुछ नियम बहुत ही ज्यादा सख्त थे, जिन्हें जहांगीर ने और भी ज्यादा सख्त कर दिए थे। कहा जाता है कि जहांगीर के शासन के समय हरम की कोई भी औरत बाहर नहीं जा सकती थी। उन्हें न देखने, न छूने की इजाजत थी। जहांगीर इतना ज्यादा सख्त था कि वह महिलाओं को देखने तो दूर छूने की भी इजाजत नहीं देता था। ऐसे में जब कोई हरम की औरत बीमार पड़ती थी, तो उसका इलाज कैसे किया जाता था। दरअसल जहांगीर ने ऐसे नियम बनाए थे कि हरम की महिलाओं को उसके सिवा कोई भी न देख सके और न ही छू सके। इसके लिए हरम में गैर लोगों के जाने पर भी प्रतिबंध था।

मुग़ल हरम के समय में हकीमों के लिए रुमाल के द्वारा बीमारियों का पता लगाना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था। इसका मतलब यह है कि उन समय के हकीम बीमारी को निदान करने के लिए शारीरिक जांच के लिए नाड़ी चेक करने के स्थान पर रुमाल को उपयोग करते थे।

हरम की बीमार औरतों के शरीर पर हकीम एक रुमाल को रगड़वाते थे। उन्होंने उन्हें सूंघकर बीमारी का पता लगाते थे। इसका अर्थ है कि हरम में अगर किसी औरत को बीमारी होती थी, तो हकीम उसके शरीर पर एक रुमाल को रगड़ता और उसकी गंध को सूंघकर उसकी बीमारी का पता लगाते थे। इस तरीके से उन्हें बिना नाड़ी चेक किए बीमारी का निदान करना काफी कठिन था।