Mahabharat Katha: इंद्रलोक की इस सुंदर अप्सरा ने दिया था नपुंसक होने का श्राप, ​बाद में बन गया वरदान​

महाभारत में युद्ध के अलावा अर्जुन के नपुंसक होने की कहानी का उल्लेख किया गया है।
 
इंद्रलोक की इस सुंदर अप्सरा ने दिया था नपुंसक होने का श्राप, ​बाद में बन गया वरदान​
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Mahabharat Katha: महाभारत में युद्ध के अलावा अर्जुन के नपुंसक होने की कहानी का उल्लेख किया गया है। माना जाता है कि जब पांडव 14 सालों के वनवास पर थे तब अर्जुन अस्त्र शस्त्र हासिल करने के लिए इंद्र के पास गए थे। अर्जुन जो चाहते थे वह मिल गया लेकिन एक अप्सरा ने उन्हें नपुंसक होने का भी श्राप दे दिया।

​महाभारत के युद्ध के बारे में युधिष्ठिर को हो गया था आभास​

कौरवों से द्युत क्रीड़ा में हारने के बाद उन्हें 13 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था। वनवास के दौरान युधिष्ठिर को आभास हो गया था कि वनवास पूरा करने के बाद भी दुर्योधन उन्हें हस्तिनापुर वापस नहीं देगा। इसलिए युधिष्ठिर ने अर्जुन को इंद्र के पास अस्त्र शस्त्र लेने के लिए कहा। शिव-पार्वती ने तपस्या से प्रसन्न होकर अर्जुन को इंद्रलोक जाने का वरदान दिया। वरदान प्राप्त होने के बाद अर्जुन को ले जाने के लिए इंद्रलोक से इंद्र का रथ आया।


इंद्रलोक में अस्त्र-शस्त्रों की दीक्षा ग्रहण करने लगा अर्जुन​
इंद्रलोक में अस्त्र शस्त्र जब दीक्षा ग्रहण कर रहे थे तो वहां कई सुंदर अप्सराएं भी रहा करती थीं। इंद्र ने एक दिन कहा कि तुम अस्त्र शस्त्र की विद्या ग्रहण करने के साथ नृत्य सीख लो। अर्जुन ने कहा एक योद्धा को नृत्य सीखने के क्या आवश्यकता है? अर्जुन की बात सुनकर इंद्र ने कहा-'एक योद्धा को केवल अस्त्र-शस्त्र की विद्या ही नहीं बल्कि कई कलाओं में भी निपुण होना चाहिए।' इंद्र की बात सुनकर अर्जुन अप्सराओं की नृत्यशैली देखते रहते थे।


​अर्जुन पर मोहित हो गई उर्वशी​

अर्जुन की सुंदरता देख उर्वशी उन पर मोहित हो गई। उर्वशी ने कहा- हे सुंदर पुरुष तुम मुझे रोज नृत्य करते हुए देखते हो।  मैं भी तुम्हारे सौंदर्य और पौरुष पर मोहित हो गई हूं। क्या तुम मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करोगे।' जब अर्जुन ने उर्वशी की यह बात सुनी, तो वे हैरान हो गए और उर्वशी से दूर हटते हुए बोले- 'इंद्रदेव मेरे पिता तुल्य हैं, इसलिए उनकी प्रेमिका होने के नाते आप मेरी माता समान हुई, कोई पुरुष अपनी माता तुल्य स्त्री से ऐसी बात नहीं कर सकता। आपको कोई भूल हुई है। मैंने कभी आपको कामवासना की दृष्टि से नहीं देखा।'


​इंद्र ने अर्जुन को समझाया शाप का महत्व​
खुद को अर्जुन के मुंह से माता सुनकर उर्वशी को अपमान महसूस हुआ। अपमानित महसूस करते हुए उर्वशी ने अर्जुन के श्राप दे दिया। अर्जुन ने उर्वशी से मिले शाप की कहानी इंद्र को बताई। इंद्र ने अर्जुन से कहा- 'उर्वशी के दिए शाप को मैं पूरी तरह से बदल नहीं सकता लेकिन मैं तुम्हारे लिए इतना कर सकता हूं कि तुम अपने जीवन के किसी एक वर्ष में नपुंसक बन जाओगे और यह एक वर्ष तुम अपनी मर्जी से चुन सकते हो। अर्जुन! यह शाप तुम्हारे लिए एक वरदान की तरह काम करेगा और एक वर्ष के अज्ञातवास में नपुंसक बने रहने से किसी को भी तुम पर संदेह नहीं होगा 


​उर्वशी का शाप बन गया वरदान​
मत्स्य देश में रहते हुए अर्जुन को उर्वशी से मिला श्राप अर्जुन के लिए वरदान सिद्ध हुआ। अ‍अर्जुन ने यहां ‘बृहन्नला’ किन्नर बनकर राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य और संगीत की शिक्षा दी। इस तरह उर्वशी का दिया शाप अंत में अर्जुन के लिए वरदान सिद्ध हुआ। ठीक एक वर्ष बाद अर्जुन को अपना गांडीव उठाते ही अपना खोया हुआ पुरुषत्व वापस मिल गया।