Karwa Chauth: कब है करवा चौथ, इस तरह करें करवा चौथ की पूजा, जान लें शुभ मुहूर्त
त्यौहारों का सीजन शुरु हो गया है। कृष्ण जन्माष्टमी के बाद अब गणेश चतुर्थी की तैयारी जोरों शोरो पर है। इसके बाद करवा चौथ की तैयारी शुरु हो जाएगी। हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है।
सभी सुहागनों अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। महिलाएं चांद निकलने तक व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर चंद्रदेव और करवे की पूजा करती हैं। इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 31 अक्टूबर को रात नौ बजकर तीस मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर को रात नौ बजकर उन्नीस मिनट तक है।
उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ्र का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा 1 नवंबर को शाम पांच बजकर चौवालीस मिनट से सात बजकर दो मिनट तक की जा सकती है। उस दिन चंद्रोदय आठ बजकर छब्बीस मिनट पर होगा।
पूजा विधि
जो महिलाए पहली बार करवा चौथ का व्रत करने जा रही है उनके लिए पूजा विधि जान लेना जरुरी है।
· इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
· पूरे दिन निर्जला व्रत रखें, पूजा की सामग्री एकत्र कर लें, मिट्टी से गौरी और गणेश बनाएं।
· माता गौरी को सुहाग की चीजें चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर अर्पित करें।
· करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में चीनी का बूरा रखें, रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं।
· शाम में गौरी और गणेश की पूजा करें और कथा सुनें, रात्रि में चंद्रमा को देख पति से आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।
क्यों मनाया जाता है करवाचौथ
कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने के कारण माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सुहाग के लिए रखती हैं। करवा चौथ में पारण के लिए कहीं हलवा पूरी और चूरमा तो कहीं आलू की सब्जी और पूरी बनाई जाती है। वहीं कहीं पर इस दिन दाल के फरे और कढ़ी भी बनती है।