Husband Wife Relationship: मेरा पति किसी काम लायक नहीं है, शादी करके बुरी तरह फंस गई हूं

किसी ने ठीक कहा है कि हमारा जीवन बहुत से पडावों से होकर गुजरता है। हर स्थिति एक नया बदलाव अपने साथ लेकर आती है।
 
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Husband Wife Relationship : किसी ने ठीक कहा है कि हमारा जीवन बहुत से पडावों से होकर गुजरता है। हर स्थिति एक नया बदलाव अपने साथ लेकर आती है। वहीं जब बात शादी की हो, तो ये एक चीज आपको पूरी तरह से बदल सकती है। शादी से पहले मुझे भी यही लगता था कि मेरी लाइफ में कभी भी कुछ भी चेंज नहीं होगा। 

लेकिन मैं गलत थी। मेरी जिंदगी उस समय पूरी तरह से बदल गई, जब मेरे जीवनसाथी ने मेरे जीवन में कदम रखा। ऐसा इसलिए क्योंकि एक रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए आपकी पूरी प्राथमिकता अपने पार्टनर की ओर चली जाती है। यह सब मैं इसलिए बता रही हूं क्योंकि मेरा भी यह सपना था कि जब मैं शादी करूंगी, तो सब कुछ मेरे और मेरे पति के बारे में होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
 
दरअसल, मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि मेरी शादी में बिल्कुल भी प्यार नहीं होगा। मैं किसी ऐसे व्यक्ति को चुन लूंगी, जो कभी भी अपनी प्राथमिकताएं मेरे लिए नहीं बदलेगा। जब मैं पहली बार सुरेश (बदला हुआ नाम) से मिली, तो मैं उसके लविंग-केयरिंग और जेंटल नेचर की कायल हो गई। वह मेरे साथ बहुत अच्छा था। 

उसने न केवल अपनी मां और बहनों की सुनी बल्कि उनकी बातों पर ध्यान भी दिया था, जिससे मुझे लगा था कि वह मेरी जरूरतों का भी ख्याल रखेगा। यही एक वजह भी है कि उससे शादी के लिए मेरी उम्मीदें हद से ज्यादा बढ़ गईं। हमारी शादी का समय गया। सुरेश को अपना जीवनसाथी बनाकर मैं बहुत ज्यादा खुश थी। 

ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि शादी के बाद हम दोनों पहले से भी ज्यादा करीब आ जाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। भले ही यह एक अरेंज मैरिज थी। एक-दूसरे को जानने में हमें समय लग रहा था, लेकिन मैं देख सकता थी कि जो समय मेरा होना चाहिए था, वह उसे अपनी मां और बहनों के साथ बिताता था।

अगर कभी भी कुछ समय बिताने के लिए हम एक साथ बैठ भी जाते, तो उसकी मां उसे आवाज दे देती थी। नहीं तो वह अपनी मां को हमारे कमरे में बुला लेता था ताकि हम सब एक साथ अच्छा समय बिता सकें। उसने कभी भी मुझे प्यार करने या हमारे रिश्ते को अपनी प्राथमिकता देने की कोशिश नहीं की।

यह कभी-कभार का होता तो, मैं सहन भी कर लेती, लेकिन जब ऐसा हर रोज होने लगा, तो मैं बुरी तरह चिड़चिड़ा गई। ऐसा इसलिए क्योंकि एक साल से ज्यादा हो गया कि हम दोनों के बीच कोई भी भावनात्मक रिश्ता नहीं बन पाया है। हमारा बंधन केवल जिम्मेदारी भर का है। सबसे बुरी बात यह थी कि वह मेरे से ज्यादा अपनी मां के साथ समय बिताना पसंद करता है।

वह न केवल उनको हमारे साथ आउटिंग पर ले जाता है बल्कि डिनर डेट्स पर भी उन्हें अपने साथ ले जाने की बात करता है। मुझे शक है कि उसे डेट्स का असली मतलब पता भी है या नहीं। सच कहूं तो वह पूरी तरह से मम्माज बॉय है। मैं अपनी शादी में बिल्कुल भी खुश नहीं हूं। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे कभी भी इस बात का एहसास नहीं हुआ कि उसकी पत्नी को क्या चाहिए? 

यह कहना बहुत ही बेकार होगा कि मैं अभी तक अपने पति के साथ छुट्टी पर अकेले नहीं गई हूं। हम जब भी बाहर जाते हैं, उसमें हमेशा उनकी मां और बहनें शामिल होती हैं। भले ही मेरी सास और ननदें बहुत अच्छी हैं, फिर भी मैं खुश नहीं हूं। मैं एक ऐसे पति के साथ फंस गई हूं, जिसे मेरे साथ समय बिताने में कोई दिलचस्पी नहीं है।