Cricket News: दो वक्त की रोटी का मोहताज हुआ ये दिग्गज क्रिकेटर, कभी सचिन के साथ मिलकर करता था रनों की बरसात

 
Cricket News: दो वक्त की रोटी का मोहताज हुआ ये दिग्गज क्रिकेटर, कभी सचिन के साथ मिलकर करता था रनों की बरसात
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Vinod Kambli: भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी करोड़ों रुपये के मालिक होते हैं. क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद भी इन खिलाड़ियों के पास पूरी जिंदगी चलाने के लिए खूब पैसा होता है. लेकिन अगर कोई कहे कि टीम इंडिया के लिए एक वक्त हजारों रन ठोकने वाला खिलाड़ी इस वक्त दो वक्त की रोटी का भी मोहताज है, तो ये बात काफी अजीब लगती है. लेकिन पूर्व दिग्गज क्रिकेटर विनोद कांबली की हालत इस वक्त कुछ ऐसी ही है.

गरीबी का शिकार हो रहा ये खिलाड़ी

भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाज और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के बहुत अच्छे दोस्त विनोद कांबली के लिए इस वक्त जीवन काफी मुश्किल हो चुका है. एक वक्त टीम इंडिया के सबसे ताबड़तोड़ खिलाड़ियों में से एक रहे कांबली के लिए अब अपना पेट पालना भी मुश्किल हो चुका है. दरअसल इस वक्त कांबली के पास कुछ भी कमाई का जरिया नहीं है और वो अपने परिवार का पेट सिर्फ बीसीसीआई से मिलने वाली पेंशन से चला रहे हैं.

30 हजार रुपये में हो रहा गुजारा

विनोद कांबली को बीसीसीआई से 30 हजार रुपये पेंशन मिलते हैं और यही उनकी कमाई का एकमात्र जरिया बचा है. वो 2019 तक एक टीम के कोच भी थे. वहीं इस खिलाड़ी ने साल 2000 में अपना आखिरी मुकाबला खेला था. कांबली का कहना है कि उनकी इस हालत के बारे में दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भी सब कुछ पता है, लेकिन वो उनसे मदद की कोई उम्मीद नहीं रख रहे हैं. ये दिग्गज क्रिकेटर इस वक्त अपने लिए एक नौकरी खोज रहा है.

एक झटके में तबाह हुआ करियर

विनोद कांबली भारत के एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर रहे हैं, लेकिन 17 टेस्ट मैच और 104 वनडे के बाद ही विनोद कांबली का अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो गया. स्कूली क्रिकेट में विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर के बीच 664 रनों की पार्टनरशिप हुई थी. इसके बाद ये दोनों खिलाड़ी सुर्खियों में आ गए थे. 1996 के वर्ल्ड कप में भारत अपमानजनक ढंग से टूर्नामेंट से बाहर हुआ.

कोलकाता में चल रहे सेमीफाइनल में जब भारत की हार देखकर लोगों ने मैदान पर बोतलें और अन्य सामान फेंकना शुरू किया, तब कांबली बल्लेबाजी कर रहे थे. श्रीलंका की टीम पवेलियन लौट आई. लंका को विजेता घोषित कर दिया गया और कांबली मैदान से आंसुओं के साथ पवेलियन लौटे. महज 23 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी टेस्ट खेला और टीम में वापसी के रास्ते बंद हो गए.