Haryana News : सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद क्या अब अंबाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव होगा या नहीं? चलिए जानते है परक्रिया

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद प्रदेश में एक चर्चा चल रही है
 
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Haryana News : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया के निधन के बाद प्रदेश में एक चर्चा चल रही है कि क्या अंबाला में उपचुनाव हो सकते है या फिर नहीं। चलिए हम आपको बताते है कि इसके लिए क्या कानूनी प्रावधान है। 

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी लोकसभा या विधानसभा सीट के खाली होने के बाद उसे छह महीनों के अंदर भरा जाना जरूरी होता है लेकिन विशेष परिस्थितियों में अगर सरकार चाहे तो कुछ समय के लिए चुनाव को टाला भी जा सकता है।

नियम के मुताबिक अगर कोई सीट खाली होने पर सदस्य का कार्यकाल एक साल से अधिक बाकी है तो छह महीने के भीतर चुनाव करवाया जाना होता है। फिलहाल अंबाला लोकसभा का कार्यकाल एक साल छह दिन बाकी है इसलिए अंबाला में लोकसभा उपचुनाव करवाया जा सकता है।

आपको बता दें कि विशेष परिस्थितियों में चुनाव करवाना संभव ना हो तो इसका निर्णय केंद्र सरकार से विचार कर चुनाव आयोग ले सकता है।

एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि नियमों के हिसाब से अम्बाला में उपचुनाव होगा।

इस बारे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि सबसे पहले लोकसभा  सचिवालय द्वारा एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिवंगत रतन लाल कटारिया की अम्बाला  लोकसभा सीट को रिक्त घोषित किया जाएगा।

लोक प्रतिनिधित्व (आरपी) कानून 1951 की धारा 149 के तहत लोकसभा में मौजूदा सांसद की मृत्यु, त्यागपत्र एवं उनका निर्वाचन रद्द होने और उसके अयोग्य घोषित होने जैसे कई कारणों से रिक्त हुई सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जाता है।

धारा 151ए के अनुसार ऐसा उपचुनाव करवाने की समय सीमा रिक्त घोषित की गई लोकसभा सीट के छह माह के भीतर होती है।

आपको बता दें कि 29 वर्ष पहले अप्रैल 1994 में जब अम्बाला लोकसभा से तत्कालीन कांग्रेस सांसद राम प्रकाश का निधन हो गया था, तब उनके कार्यकाल के दो वर्ष शेष होने बावजूद वहां उपचुनाव नहीं कराया गया था। उस समय आरपी कानून 1951 में धारा 151 ए मौजूद नहीं थी। वर्ष 1996 में 151 ए का प्रावधान किया था।

ऐसे में अगर सब कुछ सामान्य रहा तो नवम्बर 2023 तक अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव करवाया जा सकता है। इस सम्बन्ध में फाइनल फैसला चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा।

आपको यह भी बता दें कि जींद से इनेलो विधायक रहे डॉ हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद खाली हुई सीट को भरने के लिए सरकार ने जनवरी 2019 में उपचुनाव करवाया था। उपचुनाव के करीब नौ माह बाद अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए। ऐसे में अम्बाला लोकसभा सीट का भी उपचुनाव होने के अधिक आसार हैं।

ऐसे में अगर उपचनाव होते है तो हरियाणा के राजनीतिक दलों के आगे उपचुनाव की चुनौती पेश हो जाएगी क्योंकि अगले साल मई में लोकसभा के आम चुनाव से पहले यह उपचुनाव अहम मायने रखेगा। 

अंबाला लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो दिवंगत सांसद रतन लाल कटारिया वर्ष 1999 में 13वीं लोकसभा और 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए सासंद चुने गए थे। 2019 में भी उन्होंने अम्बाला लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी सैलजा को शिकस्त दी।

वहीं 2014 में उनके मुकाबले कांग्रेस ने राजकुमार वाल्मीकि को टिकट दिया था। वाल्मीकि को बड़े अंतर से उन्होंने चुनाव में हराया। कटारिया 1999 में केंद्रीय जल शक्ति और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रहे। 2000 से 2003 तक वे हरियाणा में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे।