Provident Fund : क्या होता है पीएफ, सैलरी से क्यों किया जाता है कट, जानिए इससे जुड़ी अहम बातें

 
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Provident Fund : प्रोविडेंट फंड यही वह रकम है, जिसके बूते अधिकतर नौकरीपेशा लोग रिटायरमेंट के बाद की अपनी ज़िन्दगी को प्लान करते हैं।  कुछ साल पहले तक तो बहुत-से नौकरीपेशा लोगों के घर भी पीएफ के भरोसे ही बन पाते थे, और वह भी रिटायरमेंट के बाद, और बहुतों ने अपनी बेटियों की शादी करने के लिए भी पीएफ का प्रयोग किया हैं। 

 इन निवेश के साथ कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद पूरी राशि निकाल सकते हैं। पीएफ स्कीम का मुख्‍य उद्देश्‍य कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद आर्थिक मदद करना है। 

इस पीएफ योजनाओं के तहत कर्मचारी हर महीने अपनी आय की एक छोटी राशि का योगदान करते हैं और कुल राशि रिटायरमेंट के बाद दी जाती है। हालांकि इसे पेंशन के रूप में भी लिया जा सकता है।

तीन प्रकार के होता हैं प्रोविडेंट फण्ड 

प्रोविडेंट फंड तीन तरह के होते हैं, जिसमें एम्‍पलाई प्रोविडेंट फंड (EPF), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) शामिल हैं। 

12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जमा

 किसी भी सरकारी या निजी नौकरी में कार्यरत व्यक्ति की तनख्वाह में बेसिक सैलरी का मद ज़रूर होता है. सो, बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा आपकी तनख्वाह, यानी वेतन में से पीएफ के तौर पर काटा जाता है। यह प्रतिशत उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनके कुल कर्मचारियों की संख्या 20 से ज़्यादा हो। 

30 फीसदी पीएफ खाते में रकम जमा होगी

निजी नौकरियां करने वालों के वेतन में से पीएफ के लिए  होने वाली कटौती की पूरी रकम पीएफ खाते में जमा होती ही है, नियोक्ता को भी ऐन उतनी ही रकम अपनी ओर से देनी पड़ती है, जिसमें से लगभग 30 फीसदी, यानी बेसिक सैलरी का 3.67 फीसदी हिस्सा आपके पीएफ खाते में जमा होता है, और शेष 8.33 फीसदी आपके पेंशन खाते में जमा होता है।  

इसके अलावा कर्मचारी निधि संबद्ध बीमा (ईडीएलआई) के लिए भी नियोक्ता बेसिक सैलरी के आधे फीसदी जितनी रकम जमा करवाता है, और पीएफ के प्रशासनिक खाते में भी उसे ईपीएफ और ईडीएलआई के लिए क्रमशः 1.10 फीसदी तथा 0.01 फीसदी जमा करना पड़ता है।

यानी कर्मचारी के पीएफ और पेंशन खातों में कुल मिलाकर हर महीने उसकी बेसिक सैलरी का 24 फीसदी जमा होता ही है. केंद्र सरकार के मामले में सरकार कर्मचारी के सिर्फ ईपीएस खाते में 1.16 फीसदी रकम जमा करवाती है.

इतनी फीसदी ब्याज दर होगी जमा

इसके लिए सीधा-सा गणित है. कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसका और नियोक्ता का जो भी हिस्सा जमा होगा, उस पर  8.5 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाता है। 

इनकम टैक्स में इतना होगा फायदा 

पीएफ के मद में कर्मचारी की तनख्वाह से जो भी रकम कटती है, वह उसकी बचत मानी जाती है, और उसमें से 1,50,000 लाख रुपये तक की रकम कर मुक्त, यानी टैक्स फ्री होती है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप इतनी तनख्वाह पाते हैं कि आपको 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है, तो आप पीएफ के मद में 1,50,000 रुपये तक की कटौती पर टैक्स और सेस मिलाकर 46,800 रुपये का इनकम टैक्स बचा सकते हैं।