जनता को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए सरकार ने अपनाया अनोखा रास्ता ,छापना पड़ा ये अनोखा नोट

 
जनता को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए सरकार ने अपनाया अनोखा रास्ता ,छापना पड़ा ये अनोखा नोट 
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भ्रष्टाचार की मिट्टी में सच्चाई की बीज बोने वाले नागरिक संगठन '5 पिलर' ने साल 2007 में एक अनोखी पहल शुरू की थी - 'जीरो रुपये' नोट। यह नोट न केवल बदला, बल्कि जनता के बीच जागरूकता भी फैलाने का एक साधक बना। 

सामान्य रुपये की तरह नहीं, 'जीरो रुपये' नोट का कोई मूल्य नहीं था, न उसे किसी बैंक या सरकारी अथॉरिटी द्वारा मान्यता दी गई थी। इसके बावजूद, यह नोट बड़ी संख्या में छापकर लोगों में एक अद्भुत संदेश पहुंचाया। 

क्यों छापे गए जीरो रुपये के नोट?

देश में बढ़ते भ्रष्टाचार और घूसखोरी के विरुद्ध उठी आवाज़ को मजबूती से बढ़ावा देने के लिए '5 पिलर' ने यह अनूठा इकोनॉमिक टूल बनाया। लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ संदेश पहुंचाने के उद्देश्य से 'जीरो रुपये' नोट को छापा गया। 

जनता में जागरूकता की बढ़ावा

यह नोट अनेक भाषाओं में छापा गया था, जैसे हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम, और तेलुगु। इसके साथ ही, '5 पिलर' ने इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, बाजारों और शादी समारोहों में बाँटा। 

एक महत्त्वपूर्ण पहलु था शून्य मूल्य वाले नोट के साथ बनाए गए बैनर, जिन्हें 5 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा बनाया गया था। इन बैनरों को 1,200 स्कूलों, कॉलेजों, और जनसभाओं में जाकर लोगों को जागरूक किया गया। 

नागरिकों की सहभागिता

'5 पिलर' ने इस अभियान के दौरान 5 सालों तक 5 लाख से अधिक नागरिकों से जीरो करप्शन के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए हस्ताक्षर कराए और इसे एक लोकतंत्र की शक्ति के रूप में स्वीकारा। 

यह अभियान भ्रष्टाचार और घूसखोरी के खिलाफ जनता को सचेत करते हुए एक सशक्त संदेश दिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता को सशक्त बनाया।