Success Story of IAS-IPS : 4 भाई बहन चारों IAS-IPS, बड़े भाई ने छोटे भाई बहनों के लिए छोड़ दी नौकरी, पढ़िए अफसर फैमिली की कहानी
Success Story of IAS-IPS : UPSC की परीक्षा सबसे टफ परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन इसे साकार करना हर किसी के बस की बात नहीं है। इसे पास करने के लिए दिन रात लग्न से मेहनत करनी पड़ती है।
इसके साथ ही लगभग हर विषय की जानकारी होना भी जरूरी है। इस परीक्षा को लाखों विद्यार्थी देते हैं लेकिन कुछ ही इसे पास कर पाते हैं। आज हम आपको ऐसे आईएएस और आईपीएस अफसर से मिलाने जा रहे हैं जो कोई और नहीं बल्कि भाई बहन है।
एक ही घर में 4 भाई बहन का अफसर होना माता पिता के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए गर्व की बात होता है। एक ही घर में 4 आईएएस और आईपीएस होने की कहानी यूपी के लालगंज की है। चार भाई-बहनों में क्षमा और माधवी की बहनें उदास दिख रही थीं, क्योंकि वे यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास करने में असफल रही थीं।
फिर उनके उनके भाई योगेश उन्हें दुखी नहीं देख पाए उन्होंने उनकी मदद करने का फैसला किया। रक्षाबंधन के अवसर पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने खुद यूपीएससी के लिए उपस्थित होने का फैसला किया और अपनी बहनों का मार्गदर्शन किया।
बता दें कि योगेश ने 2013 में अपनी नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी पर पूरा फोकस किया। अगले साल, उन्होंने इसे पहले ही अटेंप्ट में UPSC क्लियर कर लिया और IAS अधिकारी बन गए। फिर उन्होंने एग्जाम और नोट्स की अपनी समझ से अपनी दो बहनों और छोटे भाई को कोचिंग दी।
2015 में, माधवी ने परीक्षा पास की और IAS अधिकारी बन गईं। उसके अगले साल, क्षमा और लोकेश दोनों ने एग्जाम क्लिय किया और अब आईपीएस और आईएएस अधिकारी हैं।
इनमे से सबसे कम उम्र के लोकेश कहते हैं कि वह निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनके माता-पिता हमेशा चाहते थे कि वे परीक्षा दें लेकिन उन्होंने कभी भी अपने सपनों को अपने बच्चों पर नहीं थोपा। चारो भाई बहन 12वीं तक हिंदी मीडियम से ही पढ़े हैं।
योगेश की यूपीएससी में कोई दिलचस्पी नहीं थी जिसके चलते वह नोएडा में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने चले गए, लेकिन जब उनकी बहनें सिविल सेवा परीक्षा पास करने की इच्छुक थीं उनको दिक्कत आ रही थी तो वह खुद बाधाओं का सामना करते हुए मैदान में आ गए और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
आईएएस आईपीएस अफसर की माता कृष्णा मिश्रा का कहना है कि हमारे बच्चे हमेशा बहुत मेहनती और ईमानदार रहे हैं। एक परीक्षा देने के बाद, उन्होंने हमें बताया कि यह अच्छी थी या नहीं। उन्हें उनकी दृढ़ता के लिए रिवार्ड मिला है।