Success Story: 8वीं पास शख्स ने खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस, कई बार फेल होने पर भी नहीं टूटा हौंसला

मेहनत करने वाला इंसान अपनी सफलता की कहानी जरुर लिखता है। आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपना खुद का बिजनेस शुरु किया।
 
8वीं पास शख्स ने खड़ा किया करोड़ों का बिजनेस, कई बार फेल होने पर भी नहीं टूटा हौंसला 
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Success Story: मेहनत करने वाला इंसान अपनी सफलता की कहानी जरुर लिखता है। आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपना खुद का बिजनेस शुरु किया। 8वीं पास शख्स ने गांव से निकलकर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी । आइए जानते हैं इस शख्स की सफलता की कहानी।

भूणिया जैसे छोटे से गांव से निकलकर उम्मेदाराम के बाड़मेर पहुंचने का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उम्मेदाराम महज 8वीं पास हैं, लेकिन वह आज सालाना 4 करोड़ कमा रहे हैं।

उम्मेदाराम के यहां बनने वाले सिंग मखाना,सिंगोडा सेव और ओला लड्डू काफी प्रसिद्ध है। भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के एक 8वीं पास शख्स ने साल 2011 में चीनी से बनने वाले मखाने, पतासे, लड्डू, सिंगोडो के सेव का व्यवसाय शुरू किया है। इतना ही नहीं, उनके उत्पाद बाड़मेर के अलावा बालोतरा, सांचौर, जोधपुर और जालोर जिलों तक जाते हैं।

मेलों और त्यौहारों में रहती है मांग

उम्मेदाराम प्रजापत का यह काम उन्हें सीधे मंदिरों से जोड़ता है, क्योंकि उनके उत्पाद अधिकतर मंदिरों में प्रसाद के रूप में भोग लगाए जाते हैं। बाड़मेर और उसके आसपास के जिलों में लगने वाले मेलों और धार्मिक त्यौहारों में उम्मेदाराम प्रजापत के मखाने, लड्डू, सिंगोडो के सेव की काफी मांग रहती है। वहीं पश्चिमी राजस्थान के हर शादी,ब्याह, समारोह में इनके पतासों की भारी डिमांड रहती है।

साल 2011 में शुरू किया स्टार्टअप

मूलतः भूणिया निवासी उम्मेदाराम महज 8वीं पास हैं और खुद का स्टार्टअप शुरू करने के बाद सालाना करोडों का व्यवसाय कर रहे हैं। उम्मेदाराम प्रजापत ने बताया  कि खुद का व्यवसाय खोलने की सोची और साल 2011 में खुद का स्टार्टअप शुरू किया। इसमें चीनी से निर्मित सिगोड़ा सेव, सिंग मखाना, पतासा, लड्डू बनाते हैं। वह बताते हैं कि रोजाना 3 टन से अधिक माल की बिक्री हो जाती है।

अब खुद की कम्पनी खोलने के बाद उम्मेदाराम युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। बाड़मेर में बनने वाले मखाना की मांग बाड़मेर, जैसलमेर, सांचोर, जोधपुर सहित राजस्थान के अलग-अलग राज्यों में होती है। साथ ही सालाना 4 करोड़ रुपए का टर्न ओवर हो जाता है।