Rapid Rail: दिल्ली-NCR में शुरू हो रही रैपिड रेल, जानिए मेट्रो से कितनी अलग होगी स्पीड और लग्जरी सुविधाएं...

दिल्ली-NCR में रैपिड रेल सेवा जल्द शुरू होने वाली है. मेरठ से दिल्ली के बीच ये देश की पहली रैपिड रेल होगी
 
दिल्ली-NCR में शुरू हो रही रैपिड रेल
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Rapid Rail: दिल्ली-NCR में रैपिड रेल सेवा जल्द शुरू होने वाली है. मेरठ से दिल्ली के बीच ये देश की पहली रैपिड रेल होगी

मेट्रो के मुकाबले तेज रफ्तार वाली रैपिड ट्रेन में स्टॉपेज की संख्या कम होगी. 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) जल्द ही, दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के 17 किमी लंबे प्राथमिक खंड को निर्धारित समय से पहले ही शुरू करने तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. 

इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 82 किमी है, जिसमें से 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है जबकि 68 किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है.


राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) एनसीआर में इस क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) का ऐसा नेटवर्क तैयार कर रहा है 

जिसे दिल्ली मेट्रो की विभिन्न लाइनों के साथ एकीकृत किया जाएगा. 

ये अलवर, पानीपत और मेरठ जैसे विभिन्न शहरों को भी दिल्ली से जोड़ेंगे.

रेलवे स्टेशनों में टिकट ऑनलाइन या काउंटर पर खरीदे जाते हैं तो वहीं मेट्रो स्टेशनों में स्मार्ट कार्ड, क्यू आर कोड वाले टिकट या टोकन का उपयोग कर यात्रा की जाती है.

वहीं इसके उलट आरआरटीएस में क्यूआर कोड-आधारित डिजिटल और पेपर टिकटिंग सुविधाएं मिलेंगी. 

स्टेशनों में ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड भी होंगे.

आरआरटीएस ट्रेनों को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने के लिए डिजाइन किया गया है.  

ये ट्रेन 60 मिनट में 100 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है.  

वहीं, दिल्ली मेट्रो की ट्रेनें 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं. 

6 कोच वाली इस ट्रेन का लुक बिल्कुल बुलेट ट्रेन की तरह है. हालांकि, साइड से यह मेट्रो की तरह नजर आती है.

आरआरआरटीएस को उन यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो तेज गति और शांत तरीके से लंबी दूरी की यात्रा करना चाहते हैं. 

दूसरी ओर, मेट्रो को राष्ट्रीय राजधानी और उसके आस-पास के शहरों के भीतर विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है. 

रैपिड ट्रेन के कोच एडजस्ट होने वाली 2x2 की सीटें होंगी और यात्रियों के खड़े होने के लिए विशेष व्यवस्था होगी. 

इसके अलावा इन ट्रेनों में मुफ्त वाईफाई, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट, सामान रखने की जगह, एक इंफोटेनमेंट सिस्टम और अन्य तरह की सुविधाएं भी मिलेंगी.

ऑटोमेटिक प्लग-इन दरवाजों के अलावा रैपिड रेल में जरूरत के आधार पर चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे. 

हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत नहीं होगी.

इसके अलावा, हर ट्रेन में एक डिब्बा महिलाओं के लिए रिजर्व रहेगा. 

इसके अलावा प्रत्येक कोच में 10 - 10 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व की जाएगी. 

प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाए जाएंगे और ट्रेनों के दरवाजों को इस पीएसडी से जोड़ा जाएगा. 

ऐसा होने से यात्रियों के पटरी पर गिरने जैसी दुर्घटनाओं को पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा.  

एनसीआरटीसी द्वारा भारत के प्रथम रीजनल रेल कॉरिडोर के लिए निर्मित रैपिडएक्स स्टेशनों के रंगों की प्रेरणा मोरपंख के रंगों से ली गई है. 

यह पूरा कॉरिडोर मोरपंख के रंगों की रंगावली में सजा हुआ नज़र आने लगा है. 

लोगों को सार्वजनिक परिवहन के साधनों से यात्रा करने के लिए प्रेरित करने के लिए एनसीआरटीसी ने स्टेशनों की संरचना के हर आयाम पर विशेष ध्यान दिया है 

और यात्रियों की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे स्टेशन डिज़ाइन में शामिल किया है.

रैपिड रेल सेवा से यात्रियों को मेरठ से दिल्ली पहुंचने में केवल 60 मिनट का समय लगेगा. 

प्रतिदिन लगभग 800,000 यात्रियों के इसमें सफर करने की उम्मीद है.

आरआरटीएस परियोजना के पहले चरण में तीन कॉरिडोर का निर्माण होना है जिनमें दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-एसएनबी-अलवर और दिल्ली-पानीपत शामिल हैं. 

परियोजना की अन्य पांच लाइनें भी अगले कुछ वर्षों में शुरू हो जाएंगी. 

आरआरटीएस परियोजना का एक मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैफिक को कम करना है.

रैपिड रेल प्रणाली के माध्यम से, एनसीआर क्षेत्र वायु प्रदूषण और सड़कों पर वाहनों की संख्या में भी कमी आएगी.

दिल्ली-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत रूट पर भी रैपिड रेल की प्लानिंग चल रही है. 

हरियाणा सरकार ने दिल्ली-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है. 

सोमवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन परियोजनाओं की मंजूरी अब भारत सरकार के पास विचाराधीन है.

दिल्ली-गुरुग्राम-शाहजहांपुर-नीमराना-बेहरोर (एसएनबी)-अलवर आरआरटीएस कॉरिडोर में 107 किमी लंबा अलाइनमेंट होगा. 

जिसमें 70 किमी एलिवेटेड होगा और बचा हुआ 37 किमी अंडरग्राउंड होगा. 

इसमें 6 अंडरग्राउंड, 9 एलिवेटेड और 1 at-grade स्टेशन होगा. इसके साथ ही धारूहेड़ा में एक डिपो की योजना है.