दिल्ली की मार्केट से मिला Paytm का आइडिया, पैसों को मोहताज शेखर ने ऐसे खड़ी की अरबों की कंपनी

 
Paytm Success Story
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पेटीएम के नाम से आज हम सब परिचित हैं। आपको बता दें कि, पेटीएम देश का सबसे बड़ा IPO ला रही है। खबर है कि पेटीएम इस IPO से 17-18 हजार करोड़ रुपए जुटा सकती है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे बड़ी डीजीटल पेमैंट कंपनी पेटीएम के मालिक एक वक्त में पाई-पाई के मोहताज थे। जी हां, आज हम आपको बताएंगे की कैसे पैसों के मोहताज विजय शेखर शर्मा ने खड़ी की करोड़ो की कंपनी।


यूपी के रहने वाले हैं पेटीएम के फाउंडर विजय शेयर शर्मा-

करोड़ों-अरबों का बिजनेस करने वाले विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। इनकी मां एक हाउसवाइफ और पिता एक स्कूल टीचर थे।

विजय शेखर शर्मा ने 12वीं तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई की। बाद में ग्रेजुएशन के लिए वो दिल्ली चले गए जहां उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन की पढ़ाई की।

शुरू से ही मेहनती रहे हैं शेखर-
हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई करने के कारण शेखर की इंग्लिश काफी कमजोर थी, जिसकी वजह से कॉलेज के दिनों में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने जल्द ही इंग्लिश पर अपनी पकड़ बना ली। साल 1997 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक वेबसाइट Indiasite.net की स्थापना की और दो साल में ही इसे कई लाख रुपए में बेच दिया।

यहां से उनके एंटरप्रेन्योरशिप सफर की शुरुआत हुई। साल 2000 में one97 कम्युनिकेशन्स की स्थापना की जो न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, जोक्स और एग्जाम रिजल्ट जैसे मोबाइल कंटेन्ट मुहैया करता था।

One97 पेटीएम की पैरेंट कंपनी है। इस कंपनी की शुरुआत साउथ दिल्ली के एक छोटे से किराए के कमरे से की गई थी।


दिल्ली के मार्केट से मिला आइडिया-
विजय शेखर शर्मा बताते हैं कि, 'जब मैं दिल्ली में रहता था, तब वहां के संडे बाजारों में घूमा करता था और फॉर्च्यून और फोर्ब्स जैसी मैगजीन की पुरानी कॉपियां खरीदता था। मैग्जीन से ही अमेरिका के सिलिकॉन वैली में एक गैराज से शुरू होने वाली कंपनी के बारे में पता चला।'

इसके बाद वे अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने गए जहां उन्हें पता चला कि भारत में स्टार्टअप के लिए कोई सपोर्ट नहीं था। वापस आकर उन्होंने अपने बचत के पैसों से शुरुआत की।

शेखर ने कहा- एक दिन मुझे एक सज्जन मिले और उन्होंने मुझसे कहा कि आप मेरी घाटे वाली तकनीक कंपनी को लाभ में कर दें तो मैं आपकी कंपनी में पैसे लगा सकता हूं।

जिसके बाद शेखर ने उनके कारोबार को मुनाफे में ला दिया और उन्होंने शेखर की कंपनी की इक्विटी खरीद ली।

इस तरह शुरू हुई पेटीएम-
विजय ने 2001 में पेटीएम नाम की एक नई कंपनी की शुरुआत की। उस समय पेटीएम पर प्रीपेड रिचार्ज और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा दी जाती थी।

फिर विजय ने अपनी कंपनी को बढ़ाने का सोचा और बाकी चीजों पर ध्यान देना शुरू किया और फिर इलेक्ट्रिसिटी बिल और गैस का बिल देने की सुविधा की शुरू की। बाद में कंपनी ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन जैसी सुविधाएं देनी शुरू कर दी।

कंपनी को 2016 में नोटबंदी के बाद बड़ा फायदा हुआ। इसके बाद सरकार के डिजिटल इंडिया से पेटीएम को काफी बल मिला।