Hawa Mahal : जमीन पर खड़ी इस इमारत को आखिर क्यों कहा जाता है हवामहल, जाने इसका रहस्यमयी कारण
हवामहल में कुल 953 खिड़कियां हैं, जहां हवा के झरोखे मिलते रहते हैं। आज भी आप यहां चले जाएंगे तो खिड़कियों से आपको बराबर हवा मिलती रहेगी। यह बिना नींव वाली दुनिया की सबसे बड़ा महल भी है।
'हवा महल' नाम कैसे पड़ा?
इसके पांचवीं मंजिल पर एक मंदिर है, जिसका नाम हवा मंदिर है। इसी मंदिर के नाम पर ही इस इमारत का नाम हवा महल रखा गया था। वहीं, इस महल की प्रत्येक मंजिल पर एक शरद मंदिर, एक रत्न मंदिर, एक विचित्र मंदिर और एक प्रकाश मंदिर स्थित है।
हवा महल की सुंदरता देखने के लिए सबसे अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। ये पर्यटन स्थल अपनी खिड़कियों और हवादार जालियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। कहते हैं कितनी भी गर्मी क्यूं न हो, हवा महल में आपको हमेशा हवा लगती है।
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस इमारत को आमेर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। यह खासकर रानियों के लिए बनवाया गया था। कहते है महाराजा सवाई प्रताप सिंह श्रीकृष्ण के परम भक्त थे, इसलिए हवा महल को कन्हैया के ताज की भांति बनवाया गया था, जिसे वास्तुकार लाल चंद उस्ताद ने डिजाइन किया था।