राजस्थान में एक लाख टीचर के डॉक्यूमेंट की फिर से होगी जांच, परीक्षा खुद ने दी या दूसरे ने ऐसे पता लगाएगी टीम

राजस्थान के बीकानेर में शिक्षक भर्ती पर तलवार लटक गई है। अब एक लाख टीचर के डाक्यूमेंट्स का फिर से वेरिफिकेशन होगा। इसके साथ ही एग्जाम सेंटर पर जाकर उनके हस्ताक्षरों की भी जांच की जाएगी। ताकि पता चल सके कि टीचर ने खुद परीक्षा दी थी या किसी दूसरे से दिलाई थी।
दरअसल, भाजपा सरकार के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने यह जांच शुरू की है। अब कांग्रेस राज में नियुक्ति पाने वाले करीब एक लाख टीचर्स के रिकॉर्ड की दोबारा जांच हो रही है।
डिग्री की सत्यता जांचने जांच दल संबंधित विश्वविद्यालयों में भी जाएगा। इसके अलावा एग्जाम सेंटर पर किए गए हस्ताक्षर की भी चेकिंग होगी।
प्रिंसिपल से लेकर टीचर तक की हो रही जांच
खबरों की मानें, तो ये जांच ग्रेड थर्ड से प्रिंसिपल स्तर तक नियुक्ति पाने वाले टीचर्स की हो रही है। सभी की डिग्री, मार्कशीट और अन्य कागजात की जांच शुरू हो गई है।
ग्रेड थर्ड और सेकंड के टीचर्स के रिकॉर्ड की जांच जिला शिक्षा अधिकारी और उप निदेशक स्तर पर की जा रही है। वहीं लेक्चरर और हेड मास्टर स्तर के कैंडिडेट का रिकॉर्ड शिक्षा निदेशालय जांच रहा है।
टीचर्स के डॉक्यूमेंट का फिर से होगा वेरिफिकेशन
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी का कहना है कि विभाग के आदेश पर पिछले पांच साल में हुई नियुक्तियों के डॉक्यूमेंट का फिर से वेरिफिकेशन किया जा रहा है। खासकर जिनकी नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। जिसमें पीटीआई भर्ती सहित कुछ अन्य भर्तियां शामिल है।
ऐसे शक के घेरे में आई भर्ती
बता दें कि हाल ही में SOG ने फर्जी डिग्री मामले में दो यूनिवर्सिटी संचालकों को अरेस्ट किया है। जिसमें से एक ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक जोगेन्द्र सिंह (55) पुत्र ओमप्रकाश दलाल निवासी रोहतक हरियाणा है।
वहीं दूसरे सनराइज एंड एमके यूनिवर्सिटी के संचालक जितेंद्र यादव (38) पुत्र जिले सिंह निवासी नारनौल है। दोनों की गिरफ्तारी हरियाणा से हुई थी।