हरियाणा का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट, पिता की मौत के बाद भाई ने मजदूरी कर बनाया अफसर

 
हरियाणा का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट, पिता की मौत के बाद भाई ने मजदूरी कर बनाया अफसर
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Chopal Tv, Ambala

अपने कई बार सुना होगा ये कलयुग है यहां भाई भाई का सगा नहीं होता। लेकिन हमारे देश में बड़े भाई को पिता के समान समझा जाता है। और बड़ा भाई भी अपने छोटे भाई बहनों को पिता से ज्यादा प्यार करता है।

ऐसे एक भाई है हरियाणा के अंबाला जिले के गांव मिट्टापुर में रहने वाली नरेंद्र सिंह के भाई ओंकार सिंह। जिन्होने अपने भाई को मजदूरी करके ऑफिस बनाया। 12 जून को नरेंद्र सिंह का सिलेक्शन इंडिया आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है।

One such brother is the brother of Narendra Singh, who lives in Mittapur village of Ambala district of Haryana. Who made his brother an office by working as a laborer. On June 12, Narendra Singh was selected in the rank of lieutenant in the Indian Army.

नरेंद्र ने बताया कि उनके पिता जोगिंद्र सिंह ऑटो ड्राइवर थे। उनके घर के पास कंटेनमेंट एरिया लगता था। उनके पिता का सपना था कि उनका बेटा भी इंडियन आर्मी जॉइन करेगा। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था उनके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

महज 14 साल की उम्र में नरेंद्र के सिर से पिता का साया उठा गया। उस समय उनका बड़ा भाई ओंकार 16 साल का था। लेकिन उसने भाई के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा ली। ओंकार ने 10वीं की पढ़ाई छोड़कर मेहनत मजदूरी करना शुरु कर दिया।

At the age of just 14, the shadow of his father was lifted from Narendra’s head. At that time his elder brother Omkar was 16 years old. But he took the responsibility of the whole family along with his brother. Onkar left his 10th standard and started working hard.

लेकिन ओंकार ने छोटे भाई की भाई को कोई नुकसान नहीं होने दिया। नरेंद्र ने समलेहड़ी के गर्वमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 9वीं से 12वीं की पढ़ाई की। वहां के टीचर्स और प्रिंसिपल रेनू गुप्ता उनकी काफी मदद की।

मजदूरी के बाद ओंकार ऑटो ड्राइविंग करने लगे थे। और नरेंद्र को पढ़ाने के लिए पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी जालंधर भेजा दिया, जहां से उसने बीटेक एयरोनॉटिकल में एडमिशन लिया। नरेंद्र को स्कॉलरशिप भी मिलती थी।

After wages, Omkar started driving autos. And sent Narendra to Punjab Technical University Jalandhar to teach, from where he took admission in B.Tech Aeronautical. Narendra also got a scholarship.

नरेंद्र ने 2018 में 81 प्रतिशत अंकों से बीटेक पास की। भाई का सहारा बनने के लिए वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। और सुबह अम्बाला जीपीओ में ग्रामीण डाक सेवक काम करता थे। लेकिन इसके साथ साथ डिफेंस के लिए पेपर की तैयारी भी करते रहे।

अंग्रेजी में कमजोरी दूर करने के लिए रिटायर्ड कर्नल राज किशन गुप्ता ने उनकी मदद की। और मेंटर बनकर हर कदम पर नरेंद्र को गाइड किया। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन 2018 से 2020 तक नरेंद्र ने 12 बार इंडियन आर्मी और इंडियन नेवी में अलग-अलग पदों के लिए एग्जाम दिया।

Retired Colonel Raj Kishan Gupta helped him to overcome weakness in English. And by becoming a mentor, he guided Narendra at every step. You will be surprised to know, but from 2018 to 2020, Narendra appeared 12 times for different posts in Indian Army and Indian Navy.

2020 में 12वीं बार में पीजीसी का इंटरव्यू अटेम्ट हुआ और इंडियन मिलिट्री अकादमी में सिलेक्शन हुआ और जुलाई में ट्रेनिंग शुरू हुई। उसके बाद अब 12 जून को लेफ्टिनेंट रैंक पर चयन हुआ। नरेंद्र सिंह ने बताया कि मैं अपनी सफलता का पूरा श्रेय उनका मां, पिता और भाई और उनके मेंटर को जाता है।