IAS Success Story : पिता को कैंसर था, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, कठिनाइयों का सामना कर इस तरह रितिका बनी IAS, पढ़िए रितिका के संघर्ष की कहानी

 
IAS Success Story : पिता को कैंसर था, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, कठिनाइयों का सामना कर इस तरह रितिका बनी IAS, पढ़िए रितिका के संघर्ष की कहानी
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संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और हर साल लाखों छात्र इसमें शामिल होते हैं, लेकिन बहुत कम स्टूडेंट्स ही इसे क्लियर कर पाते हैं। यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ काफी जरूरी है, हालांकि पंजाब के मोगा के रहने वाली रितिका जिंदल के लिए ये आसान नहीं था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सारी मुश्किलों का सामना करते हुए आईएएस बनने का सपना पूरा किया।

IAS Success Story : पिता को कैंसर था, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, कठिनाइयों का सामना कर इस तरह रितिका बनी IAS, पढ़िए रितिका के संघर्ष की कहानी

बचपन से ही आईएएस बनना चाहती थीं

रितिका बचपन से ही आईएएस बनना चाहती थी। वे कहती हैं वे पंजाब की हैं। जहां के बच्चे लाला लाजपत राय और भगत सिंह की कहानियां सुनकर बड़े होते हैं। वे भी इन्हीं कहानियों को सुनती हुई बड़ी हुईं थी और उस उम्र से ही देश के लिए और देश की जनता के लिए कुछ करना चाहती थी। अंततः उन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा का चुनाव किया और सही समय आने पर इस दिशा में कदम बढ़ाया।

Ritika wanted to become an IAS since childhood. She says she is from Punjab. Where children grow up listening to the stories of Lala Lajpat Rai and Bhagat Singh. She too grew up listening to these stories and from that age wanted to do something for the country and the people of the country. Ultimately she opted for UPSC CSE Exam and when the right time came, she took a step in this direction.

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12वीं में टॉपर रही थीं रितिका

रितिका जिंदल का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से पूरी की। 12वीं में रितिका ने सीबीएसई बोर्ड में पूरे नॉर्दन इंडिया में टॉप किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और 95 परसेंट अंकों के साथ पूरे कॉलेज में तीसरा स्थान हासिल किया।

Ritika Jindal was born in Moga, Punjab and completed her early studies from here. In class 12, Ritika topped the CBSE board all over Northern India. After this she did her graduation from Shri Ram College of Commerce, Delhi and secured 3rd rank in the entire college with 95% marks.

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पहले प्रयास में कुछ नंबर रह गए कम

रितिका जिंदल बचपन से ही आईएएस बनना चाहती थी, इसलिए कॉलेज के समय से ही उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। ग्रेजुएशन के बाद रितिका ने पहली बार यूपीएससी एग्जाम दिया और तीनों स्टेज क्लियर कर लिया, लेकिन फाइनल लिस्ट में वह कुछ अंकों से पीछे रह गईं और दूसरी बार एग्जाम देने का फैसला किया।

Ritika Jindal wanted to become an IAS since childhood, so she started preparing for UPSC exam from the time of college. After graduation, Ritika gave UPSC exam for the first time and cleared all three stages, but in the final list, she fell behind by a few marks and decided to take the exam for the second time.

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सिर्फ 22 की उम्र में बन गईं आईएएस

पहले प्रयास में असफलता के बाद रितिका जिंदल ने कड़ी मेहनत की और साल 2018 में दूसरे प्रयास में सिविल सर्विसेस परीक्षा में ऑल इंडिया में 88वीं रैंक हासिल कर अपने बचपन का सपना पूरा किया। उस समय रितिका की उम्र सिर्फ 22 साल थी।

After a failure in the first attempt, Ritika Jindal worked hard and fulfilled her childhood dream of securing 88th rank in All India Civil Services Examination in the second attempt in 2018. At that time Ritika's age was only 22 years.

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एग्जाम से पहले पिता को हो गया था कैंसर

रितिका जिंदल के लिए आईएएस बनने की राह इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि जब वह पहली बार यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर रही थीं। तब उनके पिता टंग कैंसर के शिकार हो गए और इस वजह से रितिका की पढ़ाई भी प्रभावित हुई। वहीं जब रितिका दूसरी बार एग्जाम की तैयारी कर रही थीं, तब उनके पिता को लंग कैंसर हो गया।रितिका के लिए यह काफी कठीन समय था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुश्किलों का सामना करते हुए तैयारी जारी रखी।

The road to becoming an IAS was not so easy for Ritika Jindal, as she was preparing for the UPSC exam for the first time. Then her father became a victim of tongue cancer and due to this Ritika's studies were also affected. At the same time, when Ritika was preparing for the exam for the second time, her father was diagnosed with lung cancer. It was a very difficult time for Ritika, but despite this, she continued her preparation while facing difficulties.

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एग्जाम की तैयारी नहीं थी आसान

बीमार पिता की देखभाल करते हुए रितिका जिंदल के लिए यूपीएससी एग्जाम की तैयारी काफी मुश्किल थी। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था, मैं जिस जगह से हूं, वह बहुत सीमित बुनियादी ढांचे और संसाधनों वाला छोटा शहर है। हर बार जब भी मेरे पिता की तबीयत खराब होती तो हमें उनका इलाज कराने के लिए लुधियाना ले जाना पड़ता था और मुझे उनके साथ अस्पताल जाना पड़ता था। उन्होंने कहा, पिता को जिंदगी से लड़ते देखकर मुझे बहुत ताकत मिली और मैंने एग्जाम के लिए कड़ी मेहनत की।