Wheat Dry Fodder: नई तूड़ी आपके पशुओं को कर सकती है बीमार, इन बातों का रखें ध्यान

इन दिनों हर जगह गेहूं की कटाई हो रही है। ऐसे में नई तूड़ी भी तैयार होकर घरों में पहुंच रही है। लेकिन खेतो में तैयार हुई ये नई तूड़ी आपके पशु का स्वास्थ्य खराब कर सकती है। 
 
नई तूड़ी आपके पशुओं को कर सकती है बीमार, इन बातों का रखें ध्यान
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Wheat Dry Fodder: इन दिनों हर जगह गेहूं की कटाई हो रही है। ऐसे में नई तूड़ी भी तैयार होकर घरों में पहुंच रही है। लेकिन खेतो में तैयार हुई ये नई तूड़ी आपके पशु का स्वास्थ्य खराब कर सकती है। अगर आप पशुओं को तूड़ी खिलाने से पहले इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो उनकी जान तक जा सकती है। तो आप इन बातों का ध्यान जरूर दें।

नई तूड़ी को लेकर पशुओं में बंध या अफारा की अकसर शिकायत आती है। दरअसल, तूड़ी के साथ तीखे कण होते हैं वो पशु के पेट में चले जाते हैं जोकि अंदर जख्म भी कर देते हैं। इसके लिए बेहतर ये है कि पशु को खिलाने से पूर्व तूड़ी को हल्के से पानी में भिगो दें। सेवन से पूर्व उसे छान लेना बेहतर है। 

साथ में हरे चारे की मात्रा अधिक रखें। ऐसा करने से तूड़ी न केवल नरम पड़ जाएगी, बल्कि पशु को पचाने में भी ज्यादा ऊर्जा खर्च नहीं करनी पड़ेगी। बंध के लक्षण दिखने पर पशुपालक अपने स्तर पर उपचार करने की बजाय पशु चिकित्सक से संपर्क करें। बंध ज्यादा समय तक रहने से पशु की मौत भी हो सकती है।

इसके साथ ही तूड़ी का भंडारण एक तो खुष्क जगह पर करें, जहां नीचे नमी हो या आसपास पानी का स्त्रोत हो वहां रखने से बचें। हो सके तो तूड़ी डालने से पूर्व नीचे पॉलीथीन बिछा दें। अक्सर देखा जाता है कि किसान जो खेती के लिए पेस्टीसाइड लेकर आते हैं उसका छिड़काव करने के बाद उसे तूड़ी में दबा देते हैं। 

ऐसे में कई बार दवा की बोतल लिकेज भी हो जाती है। फिर वही तूड़ी पशु को खिला दी जाती है जिसके चलते कई बार पशु के लिए वह खतरा बन जाती है। तूड़ी को नमी व बरसात से बचाकर रखना चाहिए। जब तूड़ी समाप्त होने वाली होती है तो कभी-कभी नीचे नमी वाली तूड़ी बच जाती है जिसमें फंगस आ जाती है। यह तूड़ी पशु में रोग का कारण बन जाती है।

अमूमन पशु ब्याने के कुछ घंटों बाद ही जैर गिरा देता है। कई बार पशु निर्धारित समय में ऐसा नहीं करता तो 24 घंटे तक इंतजार अवश्य करें। फिर भी अगर जैर नहीं गिरती तो निपुण पशु चिकित्सक से पहले सलाह व उपचार अवश्य लें। अधिकतर केसों में हम पशु के अंदर दवाई वगैरा रख देते हैं जिससे जैर अपने आप ही निकल जाती है। 

याद रहे कि हाथ से जैर निकलवाना अंतिम विकल्प होना चाहिए। इस प्रक्रिया में सावधानी बरतें और पशु के गर्भ में हाथ डालते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें। यदि जैर पशु के अंदर पड़ी है तो कोई दिक्कत नहीं, वो धीरे-धीरे अपने आप बाहर आ जाती है। लेकिन जब जैर बाहर लटकती है तो पशु के बैठने पर उसमें मिट्टी या गोबर वगैरा लग जाता है। जब पशु खड़ा होता है तो जैर अंदर जाने पर गर्भ में संक्रमण हो जाता है।

विभाग की ओर से साल में 2 बार पशुओं का मुंहखुर व गलघोटू का नि:शुल्क टीकाकरण किया जाता है। हां, ऐसा होता है कि लोग पशुओं का टीकाकरण करवाने से बचते हैं। उनका कहना होता है कि पशु के दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ेगा व ग्याभिन पशु का गर्भपात हो जाएगा। जहां तक गर्भपात का सवाल है विभाग इस पर पहले ही सजग है। बाकायदा हिदायत भी है कि अगर कोई पशु 7 माह से ऊपर का ग्याभिन है तो उसका टीकाकरण नहीं किया जाता। वैसे भी टीकाकरण से गर्भपात की गुंजाइश बहुत कम है। 

लेकिन फिर भी विभाग व टीका कंपनी किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेती। रही बात दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ने की तो अधिकतर पशुओं में ऐसी कोई समस्या नहीं आती। कई बार टीकाकरण से पशु में बुखार आ जाता है जिसकी वजह से वह खाना-पीना कम कर देता है जिससे दुग्ध उत्पादन पर कुछ असर पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सीय परामर्श लेकर पशु को बुखार व भूख बढ़ाने की दवा दें।