हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से किया संवाद, उनके कार्यों की करी सराहना

 
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हरियाणा के कुरुक्षेत्र के गांव बारना ने स्वयं सहायता समूहों के द्वारा रोजगार के अनेकों अवसर सृजित कर स्व रोजगार की एक नई इबारत लिखी है। वर्तमान में गांव में इस समय करीब 30 स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। यही नहीं करीब 20 स्वयं सहायता समूह के पास लगभग 20 लाख रुपये बचत राशि के रूप में बैंक खातों में पड़े हैं। 

गत 10 मार्च को करनाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ज्योति महिला स्वयं सहायता समूह को 50 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित व प्रोत्साहित किया था।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुरुक्षेत्र दौरे के दौरान आज बारना गांव में जन संवाद कार्यक्रम के दौरान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री से बातचीत की और उन द्वारा चलाये जा रहे समूहों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के अपने परिवारों के पालन-पोषण करने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार के अवसर देने के प्रयासों की सराहना की।

बारना गांव की स्वयं सहायता समूह चलाने वाली सुमन बताती हैं कि गांव में स्वयं सहायता समूह स्वरोजगार के माध्यम से अपने परिवार का पालन पोषण तो कर ही रहे हैं, साथ ही साथ अपने आर्थिक जीवन को भी बेहतर बना रहे हैं। आज के इस दौर में स्वयं सहायता समूह सामुदायिकता और सामाजिकता की भावना को संजो कर रखे हैं। स्वयं सहायता समूह अपने कोष के पैसे से ग्रामीण आधारित सूक्ष्म या लघु उद्योग की शुरुआत भी करते हैं जिससे रोजगार के नये अवसर सृजित होते हैं।

सुमन बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह के किसी एक सदस्य को नेतृत्व दे दिया जाता है, जो सारे प्रबंधन का कार्य करता है। इन समूहों को बैंकों द्वारा धन दिया जाता है, जिससे वित्तीय लेन-देन में आसानी होती है। प्रदेश सरकार भी इन स्वयं सहायता समूहों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है और इनकी सहायता के लिए प्रत्येक स्वयं सहायता समूह के गठन पर 20 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा दी जाती है।

उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाकर एक भैंस के माध्यम से दूध बेचने का काम किया था, जिससे उनको काफी मुनाफा हुआ। इसी स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ही उन्होंने अपने पति के लिए माल ढोने वाली गाड़ी भी ली है। उन्होंने बताया कि गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और उनके परिवार के सदस्यों ने गांव में ब्यूटी पार्लर, बुटीक, कपड़े की दुकान, दूध की डेयरी, बिस्तर, बर्तन की दुकान, खल की दुकान इत्यादि का काम किया है। सभी महिलाएं इकट्ठे होकर अपनी बचत का पैसे डालती हैं।