हरियाणा में उपलब्ध जल के समुचित उपयोग की तरफ बढ़ाने होंगे कदम, 26-27 अप्रैल को सरकार कर रही जल संगोष्ठी का आयोजन

 
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वर्तमान समय में कम होते भू-जल स्तर के कारण पानी की मांग को पूरा करने और भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले इसके लिए आज जल संरक्षण के प्रहरी बन चुके मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार प्रदेश में सभी स्रोतों से उपलब्ध जल के समुचित उपयोग की तरफ कदम बढ़ा रही है। जल संसाधनों को संरक्षित रखने और जल संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

मुख्यमंत्री के विज़न के अनुरूप पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानते हुए राज्य सरकार कई योजनाएं बना रही है। इसी कड़ी में वर्तमान समय की पानी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ भविष्य में पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु मुख्यमंत्री द्वारा उपचारित पानी का पुनः उपयोग, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना, फसल विविधीकरण, तालाबों का जीर्णोद्धार कर उसके पानी का सिंचाई व अन्य कार्यों हेतू उपयोग को बढ़ावा देने जैसी विभिन्न पहलें शुरू की गई हैं।

वर्तमान में सतही जल, भूजल और उपचारित अपशिष्ट जल को मिलाकर हरियाणा की कुल जल उपलब्धता 21 बीसीएम है। जबकि सभी क्षेत्रों को मिलाकर जल की कुल मांग 35 बीसीएम है। इस लिहाज से पानी की उपलब्धता और मांग में 14 बीसीएम का अंतर है। पानी की कमी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी विभागों और जनता से थ्री-आर सिद्धांत यानी रिडयूस, रिसाईकल और रियूज को अपनाने का आह्वान किया है, जो न केवल जल संरक्षण व जल संचयन में उपयुक्त सिद्ध होगा, बल्कि प्रदेश के एकीकृत विकास में भी अहम योगदान देगा।

हरियाणा में पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है, इस कमी को देखते हुए सरकार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। जनता की पर्याप्त जल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण  द्वारा पंचकूला में 26-27 अप्रैल को जल संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। भारत की इस पहली जल संगोष्ठी में विभिन्न विभागों द्वारा जल संकट से निपटने और राज्य में जल स्तर को कैसे बढ़ाया जाए, इस बारे मंथन किया जाएगा। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आमजन मानस को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।

पानी की हर बूंद को बचाने तथा इसके उचित प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने एक द्विवार्षिक कार्य योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य पानी का उपयोग और उपचारित पानी का पुन: उपयोग सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने अपनी तरह की अनोखी योजना सु-जल की शुरुआत की। यह अनूठी पहल जल संरक्षण के क्षेत्र में कारगर साबित हो रही है। पंचकूला में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम आने के बाद पूरे प्रदेश में सु-जल योजना की शुरुआत की जाएगी।

इसके अलावा, विभिन्न विभागों द्वारा भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें अटल भू जल योजना, जल शक्ति अभियान, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना, हरियाणा उपचारित अपशिष्ट जल सिंचाई परियोजना, तालाब जीर्णोद्धार परियोजना, मिकाडा, मेरा पानी-मेरी विरासत, धान की सीधी बुवाई, मुख्यमंत्री प्रगति किसान सम्मान योजना, जलभराव वाले क्षेत्रों का उद्धार, मृदा संरक्षण परियोजनाएं, अमृत मिशन और वर्षा जल छत संचयन इत्यादि शामिल हैं।

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उठाये जा रहे विभिन्न कदम जल संरक्षण के प्रति उनकी गंभीरता व अन्य प्रांतों के मुकाबले राज्य में बेहतर जल प्रबंधन की उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।