जज्बे को सलाम- रोजाना 64 किलोमीटर बस में सफर करके पढ़ने आते हैं 65 वर्षीय विजय, कक्षा में बच्चे बोलते हैं ये शब्द

 
जज्बे को सलाम- रोजाना 64 किलोमीटर बस में सफर करके पढ़ने आते हैं 65 वर्षीय विजय, कक्षा में बच्चे बोलते हैं ये शब्द
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Positive Story of Vijay Gulia Karnal - जीवन में यदि कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी मुसीबत आपकी बाधा नहीं बन सकती बस आप में कार्य के प्रति सच्ची लगन होनी चाहिए। इसी बात को साबित कर रहे हैं 65 वर्षीय सोनीपत के गन्नौर निवासी विजय गुलिया। विजय गुलिया इन दिनों करनाल स्थित बाबू मूलचंद जैन राजकीय आईटीआई संस्थान में मिट्टी परीक्षण व फसल तकनीकी का कोर्स कर रहे हैं।

वह सोनीपत के गन्नौर से रोजाना बस में 64 किलोमीटर का सफर तय कर करनाल (आईटीआई संस्थान) पहुंचते हैं। यही नहीं, विजय गुलिया अपनी 5 एकड़ की खेती से संबंधित अधिक जानकारी लेने और उसमें सुधार करने के लिए आईटीआई में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि वह कई साल पहले सुनने की शक्ति खो चुके हैं। वह केवल लिखकर बात को समझते हैं।

जज्बे को सलाम- रोजाना 64 किलोमीटर बस में सफर करके पढ़ने आते हैं 65 वर्षीय विजय, कक्षा में बच्चे बोलते हैं ये शब्द

कक्षा में सबसे ज्यादा उम्र के होने के चलते उनके साथ पढ़ने वाले बच्चे भी अंकल जी और ताऊ जी कहकर बोलते हैं। ज्यादातर बच्चे भी अब उनके साथ घुल मिल गए हैं। लेकिन नाम या साथी कहने की बजाय सभी उऩको ताऊ जी या फिर अंकल जी के नाम से ही पुकारते हैं।

करनाल में विजय गुलिया को कक्षा में विद्यार्थी ताऊ व अंकल कह कर बुलाते हैं। अनुभवी गुलिया से विद्यार्थी काफी कुछ सिख रहे हैं। इस बारे आईटीआई के अनुदेशक रामविलास शर्मा ने बताया कि गुलिया अपने युवा सहपाठियों से थ्योरी व प्रैक्टिकल दोनों में आगे हैं।

जज्बे को सलाम- रोजाना 64 किलोमीटर बस में सफर करके पढ़ने आते हैं 65 वर्षीय विजय, कक्षा में बच्चे बोलते हैं ये शब्द

उन्होंने बताया कि विजय गुलिया काफी साल पहले सुनने की शक्ति खो चुके हैं। वह केवल बोल और लिखकर बात को समझते हैं। गुलिया आईटीआई में मिट्टी परीक्षण व फसल तकनीकी का कोर्स कर आधुनिक किसान बनना चाहते हैं। इससे पहले उन्होंने प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, कंप्यूटर जैसे कोर्स भी किए हुए हैं। उनसे ये फायदा हुआ है कि वह अपने ट्रेड से संबंधित काम को खुद कर लेते हैं।

बता दें कि विजय गुलिया बीए पास हैं और इससे पहले भी वे 4 अलग अलग ट्रेडों में प्रशिक्षण ले चुके हैं, इतना ही नहीं विजय गुलिया की पत्नी भी सरकारी ध्यापक से सेवा निवृत हो चुकी हैं । विजय गुलिया के एक बेटा व एक बेटी है।

विजय गुलिया के अनुसार हर रोज 3 घंटे पढ़ाई करना उनके डेली दिनचर्या का हिस्सा है। वे आईटीआई से मिले होमवर्क को पूरा करने के लिए हर रोज 3 घंटे पढ़ते हैं । उनके अनुसार उनके घर वाले उनकी पढ़ाई लिखाई में कभी अड़चन नहीं बने हैं ।

उन्होंने बताया की आजकल की कृषि आधुनिक होती जा रही है इसलिए किसानों को भी आधुनिक होना पड़ेगा। इसलिए वे खेती की उन्नत किसानों, तरीकों की जानकारी लेने के उद्देश्य से हर रोज 64 किलोमीटर बस का सफर करके जाते हैं। विजय गुलिया का सपना एलएलबी करने का भी है और वे अपने इस सपने को भी जल्दी पूरा करेंगे।