Haryana Government: हरियाणा में सैनी सरकार के मंत्रियों ने मांगे तबादलों के अधिकार, अभी सिर्फ सिफारिश की पावर
तबादलों के अधिकार नहीं होने से मंत्रियों के दरबार की रौनक कम होती जा रही है। माना जा रहा है कि बहुत जल्दी मुख्यमंत्री नायब सैनी हाईकमान से बातचीत कर इस दिशा में कोई निर्णय कर सकते हैं। हरियाणा में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पूर्व हुड्डा व मनोहर सरकार में कई तरह के प्रयोग होते रहे हैं। पूर्व हुड्डा सरकार में भी मंत्रियों की मांग पर तबादलों के अधिकार दिए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था।
2019 से चली आ रही है एक ही व्यवस्था
हुड्डा के बाद सत्ता में आई भाजपा की मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रियों को शांत करने के लिए हर साल एक-एक माह के लिए ग्रुप डी के तबादलों के अधिकार दिए जाते थे। मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रियों की मांग पर उन्हें 20 दिन के लिए तबादलों के अधिकार दिए गए थे।
प्रदेश में तबादलों को लेकर वर्ष 2019 से एक ही व्यवस्था चली आ रही है, जिसके तहत मंत्री ग्रुप सी व डी के तबादलों को लेकर केवल अपनी सिफारिशें देते हैं, जिसके बाद यह सिफारिशें मुख्यमंत्री के पास जाती हैं। वहां बतौर ओएसडी तैनात एचसीएस स्तर के अधिकारी ही तबादलों पर फैसला लेते हैं। हालांकि इन सिफारिशों को धरातल पर पूरा कराने के लिए विधायकों और मंत्रियों को एचसीएस स्तर के अधिकारी की ना केवल मान मनौवल करनी पड़ती है, बल्कि स्वयं भी चक्कर काटने पड़ते हैं।
अधिकारी होते हैं मंत्रियों पर हावी
मंत्रियों व विधायकों का मानना है कि उन्हें तबादलों की पावर नहीं होने की वजह से अधिकारी उन पर हावी होते हैं। वर्ष 2024 में मनोहर लाल के स्थान पर जब नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया था, तब भी तबादलों की पावर मंत्रियों को देने की मांग उठी थी, लेकिन तब चुनाव के चलते इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया था।
अब प्रदेश के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार दिए जाने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों ने ना केवल पूरी मजबूती से अपनी मांग रखी है, बल्कि हर ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री से पूछने और ओएसडी के फैसले को लेकर नाराजगी भी जताई है, जिसके बाद सीएम ने उचित फैसला लेने का भरोसा दिलाया है।
प्रदेश के एक मंत्री ने बताया कि उन्हें किसी कर्मचारी के तबादले को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। सारे तबादले का अधिकार सीएमओ के पास है। सीएमओ में भी एचसीएस स्तर का अधिकारी जब तबादलों की सिफारिश को रोककर बैठता है, तो तगता है कि राज्य में सरकार नहीं, बल्कि अफसरशाही काम कर रही है।