हरियाणा के 22 जिलों और 34 उपमंडलों में लोक अदालत का आयोजन, मुकदमों को किया निपटान

पूर्व-मुकदमेंबाजी और लंबित दोनों चरणों में लगभग 2,35,000 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें पक्षकारों के बीच 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हुएा निपटान

 
हरियाणा के 22 जिलों और 34 उपमंडलों में लोक अदालत का आयोजन, मुकदमों को किया निपटान
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पूर्व-मुकदमेंबाजी और लंबित दोनों चरणों में लगभग 2,35,000 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें पक्षकारों के बीच 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हुएा निपटान

चंडीगढ़, 11 मई- हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण पल्ली, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में वर्ष 2024 की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का शनिवार को हरियाणा के  22 जिलों और 34 उपमंडलों में आयोजन किया गया,

जिसमें सिविल, आपराधिक, वैवाहिक, बैंक वसूली, आदि से संबंधित कई मामले उठाए गए। इसमें एडीआर केंद्रों में कार्यरत स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं) के मामले भी शामिल हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित करने का उद्देश्य वादकारियों को अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

          राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन, माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण पल्ली, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोक अदालतों की निगरानी की। माननीय न्यायमूर्ति ने लोक अदालत पीठों के साथ-साथ पक्षकारों से भी बातचीत की और लोक अदालत पीठों को दिशा-निर्देश दिए।

        माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण पल्ली ने राष्ट्रीय लोक अदालत के सफलतापूर्वक संचालन के लिए लोक अदालत पीठों को अपनी शुभकामनाएं दीं और उन्हें आज की राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों का निपटारा करने के लिए प्रोत्साहित किया। 

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोक अदालत बिना किसी अतिरिक्त लागत या शुल्क के पार्टियों पर बाध्यकारी मामलों के त्वरित और अंतिम सहमतिपूर्ण निपटान को सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति है। 

उन्होंने कहा कि लोक अदालतें न केवल लंबित विवाद या पक्षकारों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों का निपटारा करती हैं, बल्कि यह सामाजिक सदभाव भी सुनिश्चित करती हैं, क्योंकि विवाद करने वाले पक्षकार अपनी पूर्ण संतुष्टि के साथ अपने मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाते हैं। पूर्व-मुकदमेंबाजी और लंबित दोनों चरणों में लगभग 2,35,000 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें पक्षकारों के बीच 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निपटान हुआ।

ऐसे निपटाए गए मामले
झज्जर: एक मां और बेटे के बीच एक पुराना विवाद सुलझ गया और बेटा स्वेच्छा से रुपये देने पर सहमत हो गया। उनकी मां को भरण-पोषण भत्ते के रूप में 12,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

हिसार: पिछले चार वर्षों से लंबित एक तलाक याचिका में, युगल पक्ष के बीच वैवाहिक विवाद को लोक अदालत पीठ के व्यक्तिगत प्रयासों से सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान किया गया। याचिकाकर्ता ने तलाक की याचिका वापस ले ली और दोनों पक्ष मुकदमेबाजी को समाप्त करने के उद्देश्य से हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत याचिका दायर करने पर सहमत हुए।

फरीदाबाद: एम.ऐ.सी.टी. विवाद में, याचिकाकर्ता की विकलांगता का मौके पर ही ऑर्थोपेडिक सर्जन की मदद से पता लगाया गया, जिन्हें विशेषज्ञ की राय और सहायता के लिए  एम.ऐ.सी.टी. बेंच में नियुक्त किया गया था और मामले का सफलतापूर्वक हल किया गया।

चरखी दादरी:  पिछले दो वर्षों से लंबित एक तलाक याचिका में, दंपति के बीच वैवाहिक विवाद और नाबालिग बच्चे की हिरासत का विवाद संबंधित पीठ के व्यक्तिगत प्रयासों और परामर्श के कारण सौहार्दपूर्ण ढंग से हल हो गया। चूंकि प्रतिवादी/पत्नी 20 लाख रुपये के लिए अड़ी हुई थी लेकिन पीठ के प्रयासों से मामला दो किस्तों में एकमुश्त निपटान के रूप में 15 लाख रुपये में सुलझ गया और नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा प्रतिवादी/पत्नी के पास रहेगी। याचिकाकर्ता ने तलाक की याचिका वापस ले ली और दोनों पक्ष मुकदमेबाजी को समाप्त करने के उद्देश्य से हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी0 के तहत याचिका दायर करने पर सहमत हुए।

पानीपत: धारा 323, 325, 506 आईपीसी से संबंधित दो 60 वर्षीय भाइयों के बीच एक मामले में समझौता हो गया। कंपाउंडिंग के लिए एक आवेदन पर उनके अलग-अलग बयान दर्ज किए गए। इस प्रकार, आपराधिक मामला सुलझ गया और दोनों भाई कोर्ट में ही फिर से मिले और बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हुए चले गए।