हरियाणा से 20 साल बाद राज्यसभा जाने का किरण चौधरी का सपना होगा पूरा, 2004 में चूक गई थी किरण

दो महीने पहले 19 जून 2024 को कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुई  किरण चौधरी को हरियाणा से गत अढ़ाई माह से रिक्त राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव  के लिए पार्टी उम्मीदवार घोषित किया गया  है.
 
 हरियाणा से 20 साल बाद राज्यसभा जाने का किरण चौधरी का सपना होगा पूरा, 2004 में चूक गई थी किरण 
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दो महीने पहले 19 जून 2024 को कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुई  किरण चौधरी को हरियाणा से गत अढ़ाई माह से रिक्त राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव  के लिए पार्टी उम्मीदवार घोषित किया गया  है. बुधवार 21 अगस्त  को वह उक्त सीट के उपचुनाव हेतु नामांकन दाखिल करेंगी.  

इससे पूर्व किरण ने मंगलवार 20 अगस्त को हरियाणा की मौजूदा 14वी विधानसभा में भिवानी जिले की तोशाम वि.स. सीट के विधायक पद से, जिस पर वह कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुई थी, अपना त्यागपत्र विधानसभा स्पीकर  ज्ञान चंद गुप्ता  को सौंप दिया जिसे तत्काल तौर पर स्पीकर द्वारा  स्वीकार भी कर लिया गया.  

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट एवं राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार  ( 9416887788) ने बताया कि किरण चौधरी के विरूद्ध दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत उनके विरूद्ध दायर कांग्रेस पार्टी के विधायकों द्वारा दायर सभी  याचिकाएं भी स्वत: निरस्त  हो जाएंगी क्योंकि अब हरियाणा विधानसभा सदन से त्यागपत्र देने के बाद उन्हें  विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने का कोई औचित्य नहीं रहा गया है. 

सनद  रहे कि दो वर्ष पूर्व जून, 2022 में हरियाणा से दो राज्यसभा सीटों  के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन मात्र एक वोट से चुनाव हार गये थे क्योंकि  कांग्रेस के विधायक का  वोट बैलट पेपर पर गलत मार्क लगाने से  खारिज हो गया था एवं उस विधायक के तौर पर   किरण चौधरी का ही नाम लिया जाता रहा है 

हालांकि  इस बारे में आज तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. बहरहाल, उस एक वोट के खारिज होने के बाद  भाजपा और उसकी तत्कालीन सहयोगी  जजपा द्वारा समर्थित निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा हरियाणा से राज्य सभा सांसद निर्वाचित हो गये थे.  

किरण गत 19 वर्षो से अर्थात जून, 2005 से निरंतर तोशाम वि.स. से कांग्रेस विधायक रहीं जिस दौरान वह प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लगातार दो सरकारों में पहले राज्य मंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री भी रही थी. किरण वर्ष 1998 से 2003 तक दिल्ली विधानसभा की सदस्य और सदन की डिप्टी स्पीकर भी रही थी. 

बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि चूँकि 21 अगस्त ही उपरोक्त राज्यसभा  सीट के लिए नामांकन भरने का अंतिम दिन है एवं जिस प्रकार स्पष्ट हो चुका है कि सदन में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी इस  उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, इसलिए अब इस उपचुनाव में  मतदान की कोई आवश्यकता नहीं होगी एवं आगामी 27 अगस्त को अर्थात नामांकन  (उम्मीदवारी) वापिस लेने के अंतिम दिन, उपचुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) साकेत कुमार, आईएएस द्वारा किरण चौधरी को लोक प्रतिनिधित्व कानून (आर.पी.) एक्ट, 1951 की धारा 53(2) के अंतर्गत  निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा एवं  उसी दिन आर.ओ. द्वारा इलेक्शन सर्टिफिकेट भी प्रदान कर दिया जाएगा. 

हेमंत ने बताया कि निर्वाचित होने के उपरान्त  किरण चौधरी का  राज्यसभा सांसद के तौर पर  कार्यकाल करीब  डेढ़ वर्ष अर्थात   अर्थात 9 अप्रैल, 2026 तक ही होगा  क्योंकि रोहतक लोकसभा सीट से दो माह पूर्व निर्वाचित हुए  लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा, जिनके लोकसभा सांसद बनने से उपरोक्त राज्यसभा सीट रिक्त हुई है, उनका राज्यसभा कार्यकाल उक्त तारीख ही था, इसलिए उनकी शेष अवधि के लिए ही उक्त राज्यसभा उपचुनाव कराया जा रहा है. 

इसी बीच हेमंत ने और  जानकारी साझा  हुए बताया कि   20 वर्ष पूर्व जून, 2004 में जब हरियाणा में ओम प्रकाश  चौटाला के नेतृत्व में इनेलो सरकार  सत्तासीन थी, तब प्रदेश में 2 राज्यसभा सीटों के लिए हुए द्विवार्षिक चुनाव में किरण चौधरी, जिन्हें उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था, वह उसमें निर्वाचित होने से चूक गई थीं चूँकि मतदान से तीन दिन पूर्व ही  हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर सतबीर सिंह कादियान, जो इनेलो से ही विधायक थे,  द्वारा किरण चौधरी का समर्थन कर रहे  6 विधायकों जगजीत सांगवान, करण सिंह दलाल, भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था.

 बहरहाल, किरण द्वारा स्पीकर के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बावजूद उक्त अयोग्य घोषित 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव के मतदान में वोटिंग का अधिकार नहीं मिला जिसका परिणाम यह हुआ कि इनेलो के समर्थन से निर्दलीय तौर  चुनाव लड़ रहे सरदार त्रिलोचन सिंह चुनाव जीत गए जबकि किरण चुनाव हार गईं. वहीं राज्यसभा की दूसरी सीट   से ओ.पी. चौटाला के बड़े पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता  अजय चौटाला निर्वाचित हुए थे. बहरहाल,  20 वर्षो के बाद अब किरण चौधरी का हरियाणा से राज्यसभा जाने का सपना पूरा हो रहा है.