किसानों को मिलेगो दोगुना लाभ, धान और गेहूं की तरह पराली से भी होगी कमाई, जानें कैसे

 
किसानों को मिलेगो दोगुना लाभ, धान और गेहूं की तरह पराली से भी होगी कमाई, जानें कैसे
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Chopal Tv, Kaithal

हर साल पराली को लेकर जलाना बहस का मुद्दा बन जाता है। लेकिन अब किसानों की पराली पर्यावरण को दूषित करने के नहीं बल्कि कमाई का जरिया बनने वाली है। किसान अब पराली को जलाएंगे नहीं बल्कि बिजली बनाने में काम लगाएंगे।

पराली से किसान ना सिर्फ बिजली का उत्पादन कर सकते हैं बल्कि कमाई भी कर सकत हैं क्योंकि उन्हें एक टन पराली देने पर 1670 रुपये कमाई होगी। और ये राशि कोई और नहीं बल्कि कैथल के कांगथली में बन कर तैयार हुआ सुखबीर एग्रो एनर्जी पावर प्लांट देगा।

कैथल में इसी सीजन से प्लांट में बिजली का उत्पादन शुरु हो चुका है और यह हर घंटे 15 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता रखता है। पावर प्लांट के यूनिट हेड-बायो मास आरपी सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि कैथल जैसे चार शहरों को इससे 24 घंटे बिजली दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि पावर प्लांट के लिए पानी और बिजली घर दो प्रमुख आवश्यकता होती हैं। जिले के हर तीसरे-चौथे गांव से कोई न कोई नहर लगती और इस क्षेत्र में तो पराली बहुतायत में है। गांवों में बिजली घर बनाए गए हैं। इसलिए हर तीसरे गांव में ऐसे प्लांट लग सकते हैं।

सिन्हा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते पिछली बार पेमेंट में दिक्कत रही है, लेकिन इस बार किसानों को साथ ही पेमेंट कर दी जाएगी। किसान की सुविधा के लिए ही पावर प्लांट काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस प्लांट के लिए सब्सिडी दी है।

40 एकड़ जमीन के लिए कोई रजिस्ट्रेशन नहीं लिया गया और पानी भी सब्सिडी पर दिया जा रहा है। सिन्हा ने बताया कि पावर प्लांट से बिजली पावर ग्रिड को जानी शुरु हो गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सीजन में जिले के किसानों से दो लाख टन पराली खरीदने का लक्ष्य है।

इस प्लांट में दो सौ लोग दिन-रात काम करते हैं ताकि पराली लेकर आने वाले किसानों को परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा रेट देने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए पांच जगह सेंटर बनाए जा रहे हैं।

बता दें कि सीवन, कांगथली, ककहेड़ी, पाबसर और एक खुद पावर प्लांट इसमें शामिल है। इसके लिए 80 एकड़ जमीन लीज पर ली है। सिन्हा ने बताया कि प्लांट का नाम वेस्ट टू एनर्जी है। जिसका मकसद पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करना भी है। इस तरह के कई और प्लांट लगाए जाने हैं।