हरियाणा में इनेलो ने संगठन को किया भंग, अब नये सिरे से होगी नियुक्तियां, जानिये वजह

 इनेलो ने शनिवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन और हार के कारणों पर मंथन किया। जाट भवन में हुई राष्ट्रीय व राज्य कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता पार्टी सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने की।
 
 हरियाणा में इनेलो ने संगठन को किया भंग, अब नये सिरे से होगी नियुक्तियां
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 इनेलो ने शनिवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन और हार के कारणों पर मंथन किया। जाट भवन में हुई राष्ट्रीय व राज्य कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता पार्टी सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने की।

बैठक में प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा, आरएस चौधरी, महेंद्र सिंह मलिक, प्रकाश भारती, अादित्य देवीलाल और अर्जुन चौटाला भी मौजूद रहे। बैठक के अंदर प्रदेश में कानून व्यवस्था, पराली जलाने, बढ़ रहे डेंगू और चंडीगढ़ में विधानसभा के लिए बदले में दी गई जमीन का विरोध करने जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव पास किए गए। 

पार्टी संगठन का पुनर्गठन किया जाएगा जिसके लिए संगठन को भंग किया गया। प्रेस वार्ता के दौरान इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने बताया कि विधानसभा चुनाव में आम चर्चा थी कि हम 15 से 20 सीटें जीतने जा रहे थे। लेकिन आखिरी के दो दिनों में अचानक बड़ा फेरबदल हुआ। 

हमें उम्मीद थी कि बसपा और इनेलो तीसरी ताकत बनकर उभरेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसके क्या कारण रहे। ऐसे में चुनाव में पार्टी के नेताओं की क्या भूमिका रही। साथ ही संगठन को मजबूत करने के लिए राय ली गई। 

उन्होंने कहा कि बैठक में सभी की यह राय है कि पार्टी के संगठन में नए लोगों को अहम भूमिका देनी चाहिए। साथ ही सभी पदों पर 4 साल के बाद उम्मीदवार का बदलाव किया जाना चाहिए ताकि नए साथी पार्टी से जुड़ सकें। 

उन्होंने सभी निर्णय लेने के लिए चौ. ओपी चौटाला को अधिकृत करने के लिए प्रस्ताव रखा ताकि बदलाव किया जा सके। साथ ही पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए वे फिर से किसानों के बीच में जाएंगे।

अभय सिंह चौटाला ने बताया कि अब प्रदेश की जनता पूरी तरह से यह जान चुकी है कि जो भूपेंद्र हुड्डा हमें भाजपा की बी टीम कहते थे, वही भाजपा को सत्ता में लेके आए हैं। भूपेंद्र हुड्डा को डर था कि यदि इनेलो सत्ता में आ गई तो उसके लिए मुश्किल समय शुरू हो जाएगा। हम यह चाह रहे थे कि भाजपा और कांग्रेस सत्ता से दूर रहे, लेकिन हुड्डा भाजपा को हराने की बजाय इनेलो को हराने में लगे रहे।