Haryana Weather Update: हरियाणा में आज 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, देखें कहां-कहां बरसेंगे बदरा?

 
हरियाणा के 11 जिलों में आज भारी बारिश का अलर्ट
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हरियाणा में 29 अगस्त तक मानसून सक्रिय रहेगा। मौसम विभाग ने आज पानीपत, झज्जर, रेवाड़ी, सोनीपत, महेंद्रगढ़, भिवानी, चरखी दादरी, गुरुग्राम, फतेहाबाद, फरीदाबाद और नूंह में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 

पिछले 24 घंटे में फतेहाबाद में सबसे ज्यादा 1.2 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा गुरुग्राम में 0.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। अंबाला में 0.1 MM बारिश हुई।

इन जिलों के अलावा रोहतक, पानीपत और कुरुक्षेत्र में भी मौसम बदला रहा, यहां भी हल्की बूंदाबांदी रिकॉर्ड की गई। बूंदाबांदी और मानसूनी हवाओं से 0.9 डिग्री की गिरावट आई है।

अगस्त में राज्य में 101.8 MM सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 135.6 MM बारिश हो चुकी है। बारिश के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है।

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16 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई

हरियाणा के 16 जिलों में मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई है। कैथल, करनाल और पंचकूला जिले ताे ऐसे हैं, जहां सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हाे पाई।

हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलाें में सामान्य से 30 प्रतिशत से भी कम बारिश हाे पाई है।महेंद्रगढ़ और नूंह जिलाें में जमकर बादल बरसे हैं। नूंह में सामान्य से 63 प्रतिशत और महेंद्रगढ़ जिले में सामान्य से 51 प्रतिशत तक अधिक बारिश दर्ज की गई है।

अगस्त में 33% अधिक बारिश

IMD के अनुसार, अगस्त महीने में ही राज्य में 33% अधिक बारिश हुई है। इसमें यमुनानगर, पंचकूला, पलवल, कैथल, फरीदाबाद में सामान्य से कम बारिश हुई। जबकि, अगस्त के 20 दिनों में राज्य में 101.8 मिमी सामान्य बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक 135.6 मिमी बारिश हुई है।

बारिश के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। राज्य में रात का तापमान जहां 26-27 डिग्री के आसपास है। वहीं अधिकतम तापमान में भी दो डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है।

जुलाई में कम हुई बरसात

हरियाणा में जुलाई में इस बार 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों को देखे तो 2018 में 549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में 472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।