हरियाणा में जुडिशल मजिस्ट्रेट की जुर्माना लगाने की शक्ति में होगी दस गुना बढ़ोत्तरी
चंडीगढ़ -- हरियाणा के सभी 22 जिलों और प्रदेश के करीब तीन दर्जन उप-मंडलों में स्थापित जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालतों में
जल्द ही फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास जुडिशल मजिस्ट्रेट अर्थात प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की विभिन्न अपराधिक केसों में जुर्माना लगाने की शक्ति में दस गुना की बढ़ोत्तरी हो जायेगी.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि मौजूदा हरियाणा विधानसभा के चल प्रथम रहे सत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा गत गुरुवार 14 नवम्बर को सदन में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया गया जिसके द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.एस.), 2023 की धारा 23 की उपधारा (2) और उपधारा (3) में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है.
धारा 23(2) के अंतर्गत प्रथम श्रेणी का जुडिशल मजिस्ट्रेट वर्तमान में अधिकतम तीन वर्ष तक के लिए कारावास (जेल) या अधिकतम पचास हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा का दंडादेश दे सकता है. अब इसमें संशोधन कर जुर्माने की धन-राशि को मौजूदा अधिकतम पचास हज़ार रुपये से दस गुना बढ़ाकर पांच लाख रुपये किये जाने का प्रावधान किया गया है.
इसी प्रकार धारा 23(3) के अंतर्गत द्वितीय श्रेणी का जुडिशल मजिस्ट्रेट वर्तमान में अधिकतम एक वर्ष तक के लिए कारावास या अधिकतम दस हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा का दंडादेश दे सकता है जिसमें अब संशोधन कर जुर्माने की धन-राशि को मौजूदा अधिकतम दस हज़ार रुपये से दस गुना बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रावधान है.
हेमंत ने बताया कि अगले सप्ताह हरियाणा विधानसभा सदन से उपरोक्त भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024 पारित होने के बाद हालांकि उसे प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा स्वयं स्वीकृति न देकर बल्कि उसे केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय मार्फ़त राष्ट्रपति भवन को भेजा जाएगा एवं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ही उपरोक्त हरियाणा संशोधन विधेयक पर अपनी स्वीकृति प्रदान करेंगी जिस सारी प्रक्रिया में हालांकि अगले कुछ माह का समय लग सकता है जिसके बाद ही उक्त पारित विधेयक विधिवत तौर से कानूनी बन सकेगा.
बहरहाल चूँकि मूल कानून अर्थात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.एस.), 2023 को गत वर्ष देश की संसद द्वारा पारित किया गया था जिसके बाद 25 दिसम्बर 2023 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा ही उस पर स्वीकृति प्रदान की गई थी, इसलिए उसमें केंद्र सरकार अथवा संसद मार्फ़त एवं राज्य सरकारों द्वारा अपनी अपनी विधानसभा मार्फ़त किये गये संशोधनों पर भी राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक है.
हेमंत ने आगे बताया कि इसी वर्ष 1 जुलाई 2024 से बी.एन.एस.एस., 2023 को देश भर में लागू किया गया जिसने 51 साल पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता अर्थात कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर (सी.आर.पी.सी.), 1973 का स्थान लिया था एवं उस पुराने 1973 कानून की धारा 29 के अंतर्गत अर्थात 1 जुलाई 2024 से पहले प्रथम श्रेणी के जुडिशल मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माने लगाने की अधिकतम शक्ति मात्र दस हज़ार रुपये होती थी जबकि द्वितीय श्रेणी के जुडिशल मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माने लगाने की अधिकतम शक्ति मात्र पांच हज़ार रुपये हुआ करती थी.