Haryana News : कछुओं ने हरियाणा के इस गांव को दिलाई खास पहचान, तालाब में पल रहे हैं 200 से अधिक कछुए

हरियाणा का एक गांव, जहां 100 साल पुराने कछुए गांव के तालाब में बेहद ही सुरक्षित माहौल में पल रहे हैं
 
कछुओं ने हरियाणा के इस गांव को दिलाई खास पहचान
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Haryana News : हरियाणा का एक गांव, जहां 100 साल पुराने कछुए गांव के तालाब में बेहद ही सुरक्षित माहौल में पल रहे हैं। बिश्नोई बहुल गांव होने के कारण यहां जीव रक्षकों की कमी नहीं है। यही जीवरक्षक इन कछुओं की न केवल रक्षा करते हैं, बल्कि इनके खाने-पीने की व्यवस्थाओं को भी पर्याप्त रखतें हैं। तालियों की गड़गड़ाहट सुनते ही ये कछुए तालाब से बाहर चले आते हैं।

फतेहाबाद जिले का काजलहेड़ी गांव अब कछुओं के सहारे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने लगा है। गांव गोरखपुर स्थित परमाणु संयंत्र को तैयार कर रही न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने तालाब के चारों ओर जाली लगवा दी है, जिससे इनकी सुरक्षा में और अधिक मजबूती आई है। पिछले एक साल में 25 से 30 नए कछुओं ने भी जन्म लिया है। अधिकांश कछुए भारतीय नरम खोल (इंडियन सॉफ्ट सॉल) प्रजाति के हैं। 

300 साल पुराना है तालाब

गांव के सरपंच ने बताया कि यह तालाब 300 साल से भी अधिक पुराना है. शुरुआत में यहां कुछ ही कछुए थे लेकिन धीरे- धीरे इनकी संख्या बढ़ती चली गई। पांच एकड़ भूमि पर स्थापित इस तालाब में वर्तमान में 200 से अधिक कछुए पल रहे हैं। यहां से छोटे कछुओं को बंदर उठाकर ले जाते थे लेकिन अब एनपीसीआईएल ने तालाब की तारों की जालियों से बैरिकेडिंग कर सुरक्षा व्यवस्था करने के साथ ही यहां इंटरलॉकिंग रोड बनवा दी है। रिसर्च के लिए भवन भी बना दिया है।

ग्रामीणों का कहना है कि बाहर से भी लोग यहां इन कछुओं को देखने आते हैं। चंडीगढ़-दिल्ली से आने वाले बड़े सरकारी विभागों से लेकर निजी कंपनियों तक के अधिकारी इस तालाब पर विजिट करते हैं। इसके अलावा सप्ताह के अंत में भी आसपास के लोग बच्चों को साथ लेकर कछुए देखने पहुंचते हैं, जिससे गांव को पर्यटन स्थल के रूप में पहचान मिलने लगी है।

नाथों का धुणा होने के कारण यहां हैं कछुए

ग्रामीणों का कहना है कि यहां इतने अधिक कछुए होने की प्रमुख वजह नाथों का धुणा है। उन्होंने बताया कि नाथ संप्रदाय के लोग गंगा नदी में स्थान करने जाते थे, उस समय कछुए साथ ले आते थे। धीरे-धीरे यहां कछुओं की संख्या बढ़ती गई। बता दें कि हरियाणा सरकार ने साल 2019 में इस तालाब क्षेत्र को श्री गुरु गोरखनाथ सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया था।