Haryana News: हरियाणा के इस गांव में अजब-गजब फरमान, कच्छा पहनकर बाहर निकले तो खैर नहीं

हरियाणा के भिवानी के गांव में पंचायत द्वारा ऐसा फैसला लिया गया है जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे।
 
हरियाणा के इस गांव में अजब-गजब फरमान, कच्छा पहनकर बाहर निकले तो खैर नहीं
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Haryana News: हरियाणा के भिवानी के गांव में पंचायत द्वारा ऐसा फैसला लिया गया है जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। जी हां इस गांव में अब कोई भी नौजवान कच्छा पहनकर नहीं घूम सकता। यह मुनादी गांव गुजरानी में पिछले दो दिन से हो रही है। 

सरपंच प्रतिनिधि ने गांव में माहौल को बचाने के लिए कच्छे, निक्कर पहनकर गलियों में घूमने पर रोक लगा दी है। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि जब युवा गांव में कच्छा, निक्कर पहनकर घूमते हैं तो बहन-बेटियों को शर्मिंदा होना पड़ता है।

इस गांव से पहले नगर परिषद भिवानी में भी निक्कर पहनकर आने पर रोक है। अनेक स्कूलों में भी निक्कर पहनकर आने पर रोक है। गुजरानी गांव में महिला सरपंच रेणु है। उनके ससुर सुरेश कुमार ही अधिकतर काम देखते हैं।

 सुरेश कुमार ने बताया कि गांव में काफी युवा कच्छे पहनकर घूमते थे। वे स्कूलों में भी कच्छे में चले जाते, बैंक में भी। महिलाएं, बेटियां कुएं पर पानी भरने जाती हैं, वहां भी कुछ युवा कच्छे, निक्कर में खड़े रहते थे। यह हमारी सभ्यता के खिलाफ है।


कच्छे पहनकर घूमें तो घर में होगी शिकायत
इसी कारण मंथन कर कच्छे, निक्कर पहनकर घूमने पर रोक लगाई है। इसकी बकायदा गांव में मुनादी करवाई गई है। पिछले दो दिन से गांव में युवा कच्छे पहनकर नहीं घूम रहे। दो-तीन युवा कच्छे में घूमते मिले हैं, जिन्हें टोका तो वे बदलकर आए। 

सरपंच प्रतिनिधि सुरेश कुमार ने बताया कि पूरे गांव के मौजिज लोगों, बड़े-बुजुर्गों को कहा गया है कि यदि कोई युवा कच्छे में घूमता दिखाई दे तो उसे टोक दें। यदि इसके बाद भी कोई कच्छे-निक्कर में मिला तो उसके माता-पिता को कहा जाएगा। उसे भी समझाया जाएगा।


हमने यह फैसला अपनी सभ्यता को बनाए रखने के लिए लिया है और इससे गांव का माहौल भी सही बना रहेगा और गांव की बहन-बेटियों, महिलाओं पर भी गलत असर नहीं पड़ेगा।

नगर परिषद में भी है रोक
पहले नगर परिषद में भी अक्सर लोग निक्कर, कच्छे पहनकर अपने काम करवाने पहुंच जाते थे। यह देख नगर परिषद पदाधिकारियों, अधिकारियों ने बैठक कर नगर परिषद में निक्कर पहनकर आने पर रोक लगा दी है। जिससे अब यहां कोई भी निक्कर पहनकर नहीं आता। इसके अलावा शहर के अनेक स्कूलों में भी बच्चों को लाने-ले जाने के लिए आने वाले अभिभावकों, स्वजनों के लिए भी यह नियम लागू कर रखा है कि कोई भी निक्कर या कच्छा पहनकर नहीं आएगा।