Haryana News: अल्पमत होने के बाद भी नहीं गिरेगी हरियाणा की नायब सैनी सरकार, यहां समझे पूरा गणित

हरियाणा की नायब सैनी की सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
 
अल्पमत होने के बाद भी नहीं गिरेगी हरियाणा की नायब सैनी सरकार,  यहां समझे पूरा गणित
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Haryana News: हरियाणा की नायब सैनी की सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस समर्थन लेने के बाद से प्रदेश सरकार अल्पमत में आ गई। तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन वापस लेते ही राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। विधानसभा चुनाव होने तक अल्पमत की सरकार चलेगी।

बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों की संख्या मंगलवार सुबह तक चार थी, लेकिन शाम होते-होते इनकी संख्या तीन हो गई। मंगलवार सुबह से अटकलें थीं कि पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर और बादशाहपुर से विधायक राकेश दौलताबाद समर्थन वापस लेंगे।

 मंगलवार शाम राकेश दौलताबाद को छोड़कर अन्य तीन विधायकों ने रोहतक पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। तीनों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने और बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान भी कर दिया।
  

ऐसे समझें पूरा गणित
मौजूदा विधानसभा : 88 सदस्य
बहुमत का आंकड़ा : 45 सदस्य
सरकार के साथ : 43 MLA
बहुमत के लिए कमी : 2 MLA
(बीजेपी के अपने विधायक 40 हैं। दो निर्दलीय और HLP का एक विधायक बीजेपी के साथ हैं)
(जेजेपी के बागी विधायकों से सरकार को उम्मीद)

22 अगस्त तक नहीं आ सकेगा अविश्वास प्रस्ताव
पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के इस्तीफा देने से पहले 22 फरवरी 2024 को कांग्रेस बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। 22 फरवरी के बाद से अगले छह महीने तक नायब सिंह सैनी की सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक कोई खतरा नहीं है। सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

 ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग करके चुनाव की घोषणा कर सकती है। अगर सरकार चुनाव की घोषणा नहीं करती और कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो भी बीजेपी 88 सदस्यीय विधानसभा में 45 विधायकों का आंकड़ा पेश कर सकती है।

 तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी के 40 विधायकों के साथ दो निर्दलीय और एक एचएलपी विधायक गोपाल कांडा का समर्थन रह गया है, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम है। जेजेपी के 10 विधायकों में से सात असंतुष्ट हैं। इनसे ये कमी पूरी की जा सकती है।

स्पीकर को देना होगा समर्थन वापसी का पत्र
वर्तमान में 88 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए अब 45 विधायकों की जरूरत है, जबकि बीजेपी के पास फिलहाल यह आंकड़ा पूरा नहीं हो रहा है। जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की है, उन्होंने अभी विधानसभा स्पीकर को लिखकर नहीं दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह लिखित में भाजपा से अपना समर्थन वापस लेने संबंधी पत्र स्पीकर को सौंप सकते हैं।


जेजेपी के सात असंतुष्टों में चार बीजेपी, दो कांग्रेस और एक असमंजस मेंहरियाणा विधानसभा में जेजेपी के 10 विधायकों में से सात असंतुष्ट और बागी हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, पूर्व राज्य मंत्री अनूप धानक और बाढड़ा की विधायक नैना चौटाला को छोड़कर बाकी सात विधायक मन से जेजेपी के साथ नहीं हैं। 

असंतुष्ट और बागी विधायकों में पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने अभी फैसला नहीं लिया कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या कांग्रेस में जाएंगे। गुहला चीका के विधायक ईश्वर सिंह और शाहबाद के विधायक रामकरण काला का कांग्रेस के प्रति नरम रूख अपनाए हुए हैं। 

नारनौंद के जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम, नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग और जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा का भाजपा के प्रति झुकाव है।