Haryana Loksabha Election: हरियाणा की सिरसा लोकसभा में बीजेपी और कांग्रेस की टक्कर, 4 पर BJP, 3 विधानसभा में कांग्रेस हावी, देखें रिपोर्ट

पंजाब और राजस्थान से सटी हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट इस बार बहुत चर्चा में है। इस सीट से कांग्रेस के ही दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं।
 
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Haryana Loksabha Election: पंजाब और राजस्थान से सटी हरियाणा की सिरसा लोकसभा सीट इस बार बहुत चर्चा में है। इस सीट से कांग्रेस के ही दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं।

इतना ही नहीं बल्कि सिरसा के गांव चौटाला से 4 नेता लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार दिग्गज नेता कुमारी सैलजा को यहां से टिकट देकर उम्मीदवार बनाया है।

 

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वहीं भाजपा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके डॉ. अशोक तंवर को मैदान में उतारा है। वह ममता बनर्जी की TMC और आम आदमी पार्टी (AAP) में भी रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले पाला बदलकर भाजपा में आ गए थे।

इसके अलावा इनेलो ने संदीप लोट और जजपा ने रमेश खटक को टिकट दिया है। सिरसा में सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में माना जा रहा है। सिरसा में इनेलो पिछली बार की तुलना में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाएगी। जिसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ेगा।


4 पॉइंट में समझें सिरसा का समीकरण

यहां कांग्रेस की सैलजा कुमारी की माउथ पब्लिसिटी ज्यादा है। 26 साल बाद सिरसा लौटी सैलजा को देखने भीड़ उमड़ रही है। मगर उस भीड़ में ऐसे लोग भी हैं जो मोदी को पीएम बनना देखना चाहते हैं।

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सिरसा लोकसभा में दो बेल्ट हैं। एक बागड़ी तो दूसरी पंजाबी बेल्ट। पंजाबी बेल्ट में सैलजा का जोर ज्यादा है तो वहीं बागड़ी बेल्ट में भाजपा, इनेलो और कांग्रेस मुकाबले में हैं। चौटाला के गढ़ कहे जाने वाले डबवाली में मोदी नाम की चर्चा ज्यादा है।


शहर में कांग्रेस और भाजपा दोनों में मुकाबला दिख रहा है। तंवर के सामने सैलजा की मजबूत स्थिति को देखते हुए भाजपा ने एकदम से यहां चुनावी रणनीति को बदल दिया है। तंवर के बजाय मोदी फेस को आगे किया जा रहा है। भाजपा अपनी इस रणनीति में कामयाब भी होती दिख रही है। वहीं सैलजा के प्रचार से हुड्‌डा गुट नदारद दिखाई दे रहा है।

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फतेहाबाद की बात करें तो सैलजा को चंद्रमोहन का साथ मिला है। हालांकि फतेहाबाद में कोई बड़ा नेता सैलजा के साथ नहीं है। वहीं भाजपा कैंडिडेट को राज्यसभा सांसद सुभाष बराला, रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा और फतेहाबाद में दुड़ाराम जैसे नेताओं का साथ मिला है।

सिरसा सीट में 5 जिलों की 9 विधनासभाएं
सिरसा लोकसभा में 2 जिले सिरसा और फतेहाबाद आते हैं। जिनमें 9 विधानसभाएं हैं। सिरसा, रानियां, ऐलनाबाद, कालांवाली, डबवाली, फतेहाबाद, रतिया, टोहाना और नरवाना शामिल है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 19,21,875 है। जिसमें पुरुष मतदाता 10,15,706 और महिला मतदाता 90,06,11 है।

ये है जातिगत समीकरण
सिरसा संसदीय सीट आरक्षित है। यहां अनुसूचित जाति के 8.13 लाख वोटर हैं। वहीं जाट समुदाय 3.58 लाख, जट्ट सिख 1.90 लाख, पंजाबी समुदाय (खत्री, अरोड़ा, मेहता) 1.15 लाख, बनिया 90 हजार, कंबोज 90 हजार, ब्राह्मण 61 हजार, बिश्रोई 48 हजार, पिछड़ा वर्ग (कुम्हार, सैनी, अहीर, गुज्जर, खाती, सुनार) 1.41 लाख, अन्य (मुस्लिम, क्रिश्चियन, जैन आदि) 18 हजार हैं।


चौटाला से ज्यादा विकास मोदी ने करवाया
चौटाला गांव और तेजाखेड़ा गांव के बीच से भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो गया है। इसमें डबवाली के नौ गांव चौटाला, सकताखेड़ा, अबूबशहर, शेरगढ़, अलीकां, डबवाली, जोगेवाला, सुकेराखेड़ा और आसाखेड़ा की जमीन एक्वायर की गई है।

एक्सप्रेसवे डबवाली में राजस्थान सीमा से पंजाब सीमा तक 34.08 किलोमीटर लंबा है। यह एक्सप्रेस वे अमृतसर से गुजरात के जामनगर तक है। इस एक्सप्रेस बनने से अमृतसर से जामनगर की दूरी 1430 किलोमीटर से घटकर 1256 रह गई है। एक्सप्रेस वे से गुजरात की जामनगर, राजस्थान की बाड़मेर, बीकानरे और पंजाब की बठिडा रिफाइनरी आपस में जुड़ गई हैं। इससे डबवाली इलाके के युवाओं को सीधा फायदा पहुंचा है। यही कारण है कि डबवाली हलके में मोदी ज्यादा फेमस दिखाई दे रहे हैं।

चौटाला गांव में मोदी नाम की चर्चा इस बार डबवाली विधानसभा के सबसे बड़े गांव चौटाला की फिजा बदली-बदली सी है। इस गांव में चौटाला परिवार और कुमारी सैलजा से ज्यादा PM मोदी की चर्चा है। गांव की चौपाल से लेकर बाजार तक बस एक ही नाम सुनने को आया कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। लोगों का कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ अनुसूचित जाति के वोट मिलेंगे बाकी वोट मोदी के नाम पर भाजपा कैंडिडेट अशोक तंवर को जाएंगे।

चौटाला गांव के हेतराम ने बताया कि अभी चार-पांच दिन में चुनावी माहौल और बनने वाला है। हमारे लिए तो मोदी ही आना चाहिए। भाजपा हमारे लिए बढ़िया पार्टी है। अगर कोई कहता है कि भाजपा ने किसी का बुरा कर दिया तो मुझे नहीं लगता।

सिरसा में डेरा वोट होता है निर्णायक
सिरसा लोकसभा चुनाव में डेरा वोट निर्णायक होता है। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा, डेरा जगमालवाली, डेरा भूमणशाह हैं। डेरा सच्चा सौदा का वोटर वहीं वोट करता है जहां डेरे की पॉलिटिकल विंग वोट करने का आदेश करती है। हालांकि अभी तक डेरे की ओर से समर्थकों के पास कोई संदेश नहीं आया है।

पिछले दिनों CM नायाब सैनी ने डेरा भूमणशाह में जाकर डेरा प्रमुख से मुलाकात की थी।


डूंगर राम ने बताया कि गांव के चार लोग चाहे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हों और चौटाला परिवार का यह गढ़ है, मगर लोग मोदी को ही वोट देंगे। गांव में करीब 10 हजार वोट हैं और अधिकतर वोट मोदी को जाएंगे।

ऐलनाबाद के कुमथल गांव निवासी प्रह्लाद का कहना है कि मुझे माहौल का तो नहीं पता, लेकिन मैं इनेलो को वोट दूंगा। इनेलो पर मैं ही नहीं बल्कि पूरा गांव वोट करेगा।


भाजपा कैंडिडेट कई पार्टियां बदल चुका है
ऐलानाबाद निवासी बलराम ने बताया कि यहां पर सैलजा का माहौल बना हुआ है। हालांकि सरकार मोदी की है अभी तो, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि कुमारी सैलजा बीजेपी पर भारी पड़ रही है।


वरिष्ठ पत्रकार बोले- भाजपा के विरोध का कांग्रेस को फायदा
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र भाटिया ने कहा कि कुमारी सैलजा अशोक तंवर की तुलना में ज्यादा हैवीवेट लग रही हैं। अशोक तंवर जब कांग्रेस में थे तो केंद्रीय चेहरा हुआ करते थे। मगर बार-बार पार्टियां बदलने से जनता में उनकी छवि सैलजा के मुकाबजे कमजोर है। कांग्रेस के पक्ष में बात यह है कि कुमारी सैलजा दो बार और पिता उनके चार बार एमपी रहे।

सैलजा ने एमपी रहते यहां रेलवे, शिक्षा और खेल में काम किए। वहीं गांवों में जिस प्रकार भाजपा का विरोध हो रहा है उसका फायदा कांग्रेस को कहीं ना कहीं मिल रहा है। हरियाणा में बिना पर्ची खर्ची के नौकरियां लगी हैं और आयुष्मान योजना से कई गरीबों का मुफ्त उपचार हुआ है इसका फायदा जमीनी स्तर पर भाजपा को देखने को मिलेगा।