शिक्षा से दूर चल रहे बच्चों को खोजकर उनके इलाके में पढ़ाएगी हरियाणा सरकार, देगी सारी सुविधाएं

 
शिक्षा से दूर चल रहे बच्चों को खोजकर उनके इलाके में पढ़ाएगी हरियाणा सरकार, देगी सारी सुविधाएं
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हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसी भी तरह की शिक्षा से दूर चल रहे बच्चों की सुध लेते हुए उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में वापिस लाने के प्रयास शुरु कर दिए हैं। इन्हें अब फिलहाल स्कूल लाने की बजाए सरकार उन्हीं के इलाके में जाकर ना केवल पढ़ाएगी, बल्कि स्कूली बच्चों की तर्ज पर मिलने वाली अधिकतर सुविधाओं का लाभ भी देगी। हरियाणा में लगभग साढ़े 19 हजार बच्चे इस सूची में शामिल किए गए हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक स्वयंसेवकों को जिम्मेदारी सौंपी है।

इन्हें प्रदेश सरकार की ओर से बकायदा मानदेय दिया जाएगा। इन स्वयंसेवकों का सबसे महत्वपूर्ण काम ये होगा कि इन ईंट-भट्ठों और झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को पहले आठ-नौ माह तक खुद पढ़ाई करवाएंगे और इसके बाद अगले सत्र में सबसे नजदीकी स्कूल में इन बच्चों को दाखिल करवाया जाएगा। ताकि अगला सत्र आने के बाद इलाके में ड्रापआउट की संभावना को न्यूनतम किया जा सके।

पहले इन बच्चों की न्यूनतम उम्र सात वर्ष की रखी जानी थी, लेकिन इसके बाद सरकार ने इसके लिए आठ से 14 वर्ष तक के आयुवर्ग को लिया है। प्रदेशभर में सरकार ने 779 शैक्षणिक स्वयंसेवक फील्ड में उतर चुके हैं। इस विशेष योजना में प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को मिलने वाली लगभग सभी सुविधाएं इन बच्चों को देने का निर्णय लिया है।

पहले चरण में शिक्षा विभाग की ओर से इन सभी बच्चों को स्कूली बैग, यूनिफार्म एवं मिड-डे मील मिलेगा। मिड-डे मील की व्यवस्था शैक्षणिक स्वयंसेवक साथ लगते सरकारी स्कूल से करेंगे। इसके अलावा शैक्षणिक स्वयंसेवक ही इन बच्चों के आधार कार्ड, फैमिली आईडी बनाने में मदद करेंगे। इन बच्चों के नाम पर बैंक अकाउंट खोला जाएगा और इसकी सारी डिटेल साथ लगते स्कूल अथवा शिक्षा विभाग को देनी होगी।

शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक स्वयंसेवकों की ज्वाइनिंग रिपोर्ट के साथ प्रदेश के प्रत्येक जिले में टारगेट किए गए बच्चों की संख्या भी जारी की है। आंकड़ों की बात की जाए गुरुग्राम, नूंह और पलवल जिले में ईंट-भट्ठों और स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। पलवल जिले में ये आंकड़ा 3 हजार को पार कर गया है। इसके अलावा नूंह जिले में 2091, गुरुग्राम जिले में 2311, हिसार जिले में 1713, पानीपत जिले में 1700, फरीदाबाद में 1068,पंचकूला में 1268 बच्चे स्कूलों से दूर हैं। इसलिए इन जिलों में शैक्षणिक स्वयंसेवक भी अधिक दिए गए हैं।

मोटे-मोटे आंकड़ों की बात करें तो प्रत्येक जिले में 30 बच्चों पर एक स्वयंसेवक सरकार ने नियुक्त किया है। ऐसे में साठ से अधिक बच्चों की संख्या होते ही वहां पर तीसरे स्वयंसेवक की नियुक्ति कर दी गई है। बाकी जिलों की बात करें तो अंबाला में 921, भिवानी में 75,चरखी दादरी में 30, फतेहाबाद में 761, झज्जर में 385, जींद में 479, कैथल में 243, करनाल में 340, कुरुक्षेत्र में 293, महेंद्रगढ़ में 64, रेवाड़ी में 327,रोहतक में 357, सिरसा में 401, सोनीपत में 694 तो यमुनानगर में 950 बच्चे इस श्रेणी में रखे गए हैं।

प्रदेशभर का कुल आंकड़ा 19481 का है। ईंट भट्टों एवं स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को भी शिक्षा मिले। इसके लिए विशेष तौर पर उनकी जगह पर ही शैक्षणिक स्वयंसेवक नियुक्त किए गए हैं। प्रदेशभर में कुल 779 शैक्षणिक स्वयंसेवक नियुक्त किए गए हैं जो लगभग साढ़े 19 हजार के करीब बच्चोंं को शुरूआती शिक्षा देंगे। बाद में इन्हीं बच्चोंं को नजदीकी स्कूल में दाखिला दिया जाएगा।