बिजली निगम में घोटाले का हुआ ऐसा पर्दाफाश, एक्सईएन समेत 5 पर गिरी गाज तो हेड क्लर्क ने दे दी जान
वैसे तो बिजली निगम किसी न किसी बात को लेकर सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार बिजली निगम अपने घोटाले को लेकर खबरों में आया है। यमुनानगर स्थित बिलासपुर बिजली निगम में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जिसमें पता चला कि बिजली कर्मचारी अपने सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों का फंड ही चट करने में लगे थे। पोल खुली तो पुलिस ने एक्सईन समेत 5 दबोच लिया, लेकिन यह खबर जैसे ही ट्रांसफर हो चुके हेड क्लर्क को लगी। उसने जहर खाकर जान दे दी। इसकी वजह चक्रवती शर्मा का भी नाम इस मामले में आना था। बिलासपुर में केस दर्ज हो चुका है।
एक दिन पहले ही पुलिस ने बिलासपुर कार्यालय के एक्सईएन नीरज को दो दिन की रिमांड पर लिया था। नीरज से पूछा जा रहा है कि किस तरह पैसे ट्रांसफर हुए। अब तक 63 लाख का घोटाला सामने आ चुका है। कहीं ये घोटाला करोड़ों का तो नहीं है, इसी पर जांच चल रही है। अब तो छह महीने का आडिट भी कराया जा रहा है। पुलिस ने इससे पहले अकाउंटेंट योगेश लांबा को रिमांड पर लिया था। उसे हिरासत में भेज दिया गया है। आरोपित पवन शर्मा और अजय पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस ने इनसे रिकवरी भी की है।
ऐसे खुला था राज
कारद गांव के सुरेश कुमार की शिकायत पर घोटाले का राज खुला था। दरअसल, सुरेश कुमार की समालखा के अजय से जान पहचान थी। अजय का साला पवन शर्मा बिलासपुर कार्यालय में एक कर्मचारी के पास करता था। सुरेश को लोन की जरूरत थी। अजय ने कहा कि वह उसे लोन दिला देगा। सुरेश ने उसे अपना खाता नंबर दे दिया। कुछ दिन बाद उसके खाते में 3 लाख 78 लाख 200 रुपये आ गए। कुछ देर बार आरोपितों ने उससे रुपये वापस ले लिए। सुरेश ने बैंक जाकर पता किया तो सामने आया कि ये रुपये बिजली निगम के खाते से आए थे। सुरेश ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। जांच हुई तो रिटायर हुए कर्मचारियों के फंड की राशि थी। वाउचर से दूसरों के खाते में इसका स्थानांतरण हुआ।
कुछ यूं चल रहा था घोटाला
रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है। कर्मचारी की मौत के बाद ये उसी नाम का कोई व्यक्ति तलाश करते। फिर अपने नेटवर्क के माध्यम से उसके खाते में रुपये डालते। उससे रुपये वापस मंगा लेते। आपस में हिस्सा बांट लेते।