Haryana News: हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का 4 साल से नोटिफिकेशन नहीं हुआ जारी, 2019 में हुई थी घोषणा

हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मान्यता देने बारे अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इसकी जानकारी वरिष्ठ वकील और आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत कुमार ने दी है।
उन्होने बताया कि मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा का गठन हुए चार वर्ष पूरे हो गए है। अक्तूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा के 13वें आम चुनावों के बाद वर्तमान विधानसभा का पहला अधिवेशन (सत्र) 4 नवम्बर 2019 को बुलाया गया था जिसमें सर्वप्रथम प्रो-टेम (कार्यवाहक) स्पीकर डा. रघुबीर कादयान द्वारा सभी नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई थी।
जिसके बाद भाजपा के ज्ञान चंद गुप्ता का सर्वसम्मति से विधानसभा के स्पीकर (अध्यक्ष) के तौर पर निर्वाचन हुआ। उसी दिन विधानसभाध्यक्ष गुप्ता द्वारा कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र हुड्डा को सदन में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता देने बारे सदन में घोषणा की गई थी।
बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि आज चार वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो विधानसभा सचिवालय और न ही प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य विभाग द्वारा सदन में मौजूदा 30 सदस्यी ( आदमपुर के निवर्तमान विधायक कुलदीप बिश्नोई के गत वर्ष त्यागपत्र से पूर्व 31 सदस्यी) कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सदन में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता प्राप्त होने संबंधी सार्वजनिक नोटिफिकेशन प्रदेश सरकार के शासकीय गजट में प्रकाशित नहीं की गई है।
जोकि मौजूदा नियमानुसार आवश्यक है. अब ऐसा भूलवश हुआ अथवा किसी और कारण से, इस सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारीगण ही बता सकते हैं. गत 4 वर्षों में हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति हेतु गठित चयन समिति में सदस्य तौर पर शामिल किया गया.
हालांकि 4 नवंबर 2019 को विधानसभा के सचिव द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजकर हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पदांकन बारे जानकारी दे दी गई थी जिसमें हुड्डा को प्रासंगिक अधिनियम एवं नियमों के अंतर्गत प्राप्त होने वाली सभी सुविधाओं आदि देने का उल्लेख किया गया था.
एडवोकेट हेमंत, जो गत डेढ़ वर्ष अर्थात मई, 2022 में इस सम्बन्ध में प्रदेश के राज्यपाल, सदन के नेता (मुख्यमंत्री), विधानसभाध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, प्रदेश के मुख्य सचिव, विधानसभा सचिव को निरंतर अभिवेदन भेज रहे हैं, ने बताया कि उन्हें गत वर्ष विधानसभा सचिवालय से आर.टी.आई.के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई कि आज तक हरियाणा विधानसभा में अलग अलग समय पर एक दर्जन से ऊपर रह चुके नेता प्रतिपक्ष को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों द्वारा उक्त पद पर मान्यता देने सम्बन्धी गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित ही नहीं की गई. सनद रहे कि हुड्डा इससे पूर्व अगस्त, 2002 और सितम्बर, 2019 में भी सदन में नेता प्रतिपक्ष पदांकित किए गए थे.
हेमंत ने बताया कि हालांकि हरियाणा में पंजाब की तर्ज पर नेता प्रतिपक्ष हेतु विशेष कानून तो नहीं बनाया गया है परन्तु हरियाणा विधान सभा (सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन ) अधिनियम, 1975 की धारा 2 (डी) में सदन के नेता प्रतिपक्ष को परिभाषित किया गया है जिसका अर्थ है सदन का वह सदस्य जिसे इस पद हेतु स्पीकर द्वारा मान्यता प्रदान की गई हो. यही नहीं उक्त 1975 कानून की धारा 4 में सदन में नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों और अन्य सुविधाओं हेतु विशेष उल्लेख किया गया है एवं इस पद पर आसीन पदाधिकारी का दर्जा हरियाणा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है. इस प्रकार से हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद एक वैधानिक पद है. यहाँ तक कि नेता प्रतिपक्ष के वेतन -भत्तों आदि पर इंकम टैक्स (आयकर) का भुगतान भी प्रदेश के सरकारी खजाने से किया जाता है.
उन्होंने बताया कि 15 माह पूर्व 17 अगस्त 2022 को हरियाणा विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली में किये गए संशोधनों द्वारा नियम संख्या 2 में संशोधन कर सदन में स्पीकर द्वारा नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने संबंधी नोटिफिकेशन प्रदेश के शासकीय गजट में प्रकाशित करने का स्पष्ट उल्लेख भी किया गया. हालांकि आज तक इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया है.
उससे पूर्व 24 मार्च 2021 को उक्त नियमावली में संशोधन द्वारा नियम संख्या 2 में प्रतिपक्ष के नेता को परिभाषित किया गया था जिससे अभिप्राय है सदन में ऐसे बड़े विधायक दल का नेता जिसके सदस्यों की संख्या सरकार का गठन करने वाले दल/दलों को छोड़कर सबसे अधिक हो तथा कम से कम सदन की गणपूर्ति की संख्या के बराबर संख्या हो तथा अध्यक्ष द्वारा यथा मान्यता प्राप्त हो.
हेमंत ने बताया कि संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोक सभा) और देश के सभी राज्यों के विधानमंडलों ( विधानसभा और विधान परिषद, जहाँ जहाँ वह मौजूद है ) में जब भी किसी सदन के सदस्य को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा सम्बंधित सदन के स्पीकर या चेयरमैन द्वारा प्रदान किया जाता है, तो केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय या उस प्रदेश का संसदीय कार्य विभाग इस सम्बन्ध में क्रमशः भारत के गजट / सम्बंधित राज्य के शासकीय गजट में सार्वजनिक ( गजट) नोटिफिकेशन जारी की जाती है.