Haryana Assembly Election: हरियाणा में आयोग को क्यों बदलनी पड़ी विधानसभा चुनाव की तारीख, बीजेपी का दवाब या बिश्नोई समाज का धार्मिक कार्यक्रम बना कारण
Haryana Assembly Election: हरियाणा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब चुनाव की तारीख बदली गई हो। प्रदेश में अब एक अक्टूबर की बजाय पांच अक्टूबर को होंगे। वहीं चुनाव के नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित होंगे। चुनाव आयोग ने यह फैसला बिश्नोई समुदाय के त्योहार की वजह से लिया है। वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी के दबाव में आकर इलेक्शन कमीशन ने यह फैसला लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिश्नोई समुदाय का यह त्योहार करीब 300 साल पुराना है। खबरों की मानें, तो चुनाव आयोग ने यह फैसला बिश्नोई समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल की मांग पर किया है। बिश्नोई समुदाय के प्रतिनिधिमंडल की चुनाव आयोग से मांग की थी कि असोज अमावस्या त्योहार में हिस्सा लेने के लिए लाखों लोग बीकानेर जाते हैं। इसमें प्रदेश के तीन जिलों सिरसा, फतेहाबाद और हिसार जिले से बिश्नोई समाज के ज्यादा लोग जाते हैं।
खबरों की मानें, तो चुनाव आयोग ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इन तीनों जिलों के डिप्टी कमिश्नर से बातचीत भी की थी। जिसके बाद एक रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई थी। जिसमें दावा किया गया था कि हरियाणा के इन तीन जिलों में बिश्नोई समुदाय की आबादी ज्यादा है। रिपोर्ट देखने के बाद चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीख में बदलाव किया है।
बिश्नोई समुदाय के लाखों लोग जाएंगे त्योहार बनाने बीकानेर
खबरों की मानें, तो भाजपा के वरिष्ठ नेता और ऑल इंडिया बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई ने भी इस त्योहार के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि बिश्नोई समुदाय के लाखों लोग असोज अमावस्या महोत्सव मनाने के लिए बीकानेर जाएंगे।
हरियाणा से राजस्थान के मुक्तिधाम मुकाम पर जाते हैं लोग
उन्होंने ये भी बताया कि बिश्नोई समुदाय के लिए यह बेहद शुभ माना जाता है। यह महोत्सव साल में दो बार आयोजित होता है। यह (Bishnoi community festival) त्योहार पहली बार फरवरी-मार्च और दूसरी बार सितंबर-अक्टूबर में आयोजित होता है। हालांकि, इसकी सही तिथि हिंदू कैलेंडर पर ही निर्भर करती है। बिश्नोई समुदाय के लाखों लोग राजस्थान में मुक्तिधाम मुकाम पर जाते हैं। यह बहुत ही पवित्र जगह है। यहां बिश्नोई समुदाय के संस्थापक गुरु जंभेश्वर की समाधि बनाई गई है।