Haryana Assembly Election: हरियाणा में मोदी- शाह की नॉन स्टॉप रैलियों ने पलटा चुनावी गणित

 
   Haryana Assembly Election: हरियाणा में मोदी-शाह की नॉन स्टॉप रैलियों ने पलटा चुनावी गणित
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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नॉन स्टॉप रैलियों ने 5 अक्टूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के समीकरणों को बदलकर रख दिया है। जीटी रोड बेल्ट,अहीरवाल बेल्ट, जाट लैंड और अब "बांगड़ लैंड" में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री की सफल रैलियों के कारण भाजपा के प्रत्याशी मजबूत नजर आ रहे हैं।

 कांग्रेस जिन विधानसभाओं को अपना परंपरागत गढ़ मानकर चल रही थी, उन सीटों पर भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सेंध लगाने का प्रयास किया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन रैलियों से हरियाणा में एक बार फिर 2014 की तरह मोदी लहर दिखाई दे रही है। 

मोदी की लहर चलने से कांग्रेस चुनाव की तारीख आने से पहले ही बैकफुट पर जाती नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव की 5 सीटें जीतने के बाद जो कांग्रेस आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रही थी वह चिंतित नजर आ रही है। 

हरियाणा के लोगों का भरोसा जीता मोदी-शाह ने 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कांग्रेस की झूठी गारंटियों का पर्दाफाश करने में कामयाब रहे। भाजपा के इन दोनों स्टार प्रचारकों ने एमएसपी, मुफ्त बिजली, किसानों को लूटने, कांग्रेस द्वारा नौकरी बेचने और दलित अत्याचार के मुद्दे पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया, जिसका जवाब राहुल गांधी सहित कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं दे पाया। 

हरियाणा कांग्रेस को उम्मीद थी कि कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी की रैली कांग्रेस में जोश भरने का काम करेगी लेकिन राहुल गांधी हरियाणा के लोगों का भरोसा जीतने में कामयाब नहीं हो पाए।

राहुल गांधी भी यह बताने में चूक गए कि कांग्रेस जिन गारंटियों की बात हरियाणा में कर रही है वे हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में लागू क्यों नहीं हुईं। 

कांग्रेस को दोबारा जारी करना पड़ा विस्तृत घोषणा पत्र 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियों में कांग्रेस के घोषणा पत्र पर जो सवालिया निशान लगाए उससे कांग्रेस बैकफुट पर आ गई और पार्टी को चंडीगढ़ में अपना विस्तृत घोषणा पत्र जारी करने को मजबूर होना पड़ा।

एक राष्ट्रीय पार्टी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र को रिपीट करना हरियाणा की जनता में यह संदेश दे गया कि कांग्रेस नेतृत्व अभी तक अपने घोषणा पत्र को लेकर क्लियर नहीं है और ना ही अपने वायदों को लेकर जनता को विश्वास में ले पाया है। 

रैलियों से फिर दिखी 2014 जैसी मोदी लहर 
लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने के बाद कांग्रेस ने नरेटिव बनाने की कोशिश की थी कि हरियाणा में कांग्रेस की लहर चल रही है, लेकिन प्रधानमंत्री और अमित शाह की रैलियों ने कांग्रेस के नरेटिव को झूठा साबित कर दिया है। अब भूपेंद्र हुड्डा भी कहने लगे हैं कि उनका कड़ा मुकाबला भाजपा से है,जबकि पहले वे कांग्रेस की एकतरफा जीत का दावा कर रहे थे। 

प्रधानमंत्री की रैलियों ने जहां कांग्रेस की हवा टाइट कर रखी है वहीं दूसरी और प्रदेश भाजपा को जीत की संजीवनी दे दी है। मीडिया के एक्सपर्ट भाजपा के दोनों दिग्गज स्टार प्रचारकों की रैलियों को एक बार फिर मोदी लहर के रूप में देख रहे हैं।

भ्रष्टाचार, दलित उत्पीड़न, दलाली और दामाद कल्चर पर घिरी कांग्रेस 
चुनावी पिच पर भाजपा ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार, दलित उत्पीड़न, दलाली और दामाद कल्चर के चेहरे को बेनकाब करने में कसर नहीं छोड़ी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता रैलियों में इन मुद्दों के साथ कांग्रेस की पोल खोलने का काम कर रहे हैं। 

कांग्रेस के प्रत्याशी शमशेर गोगी, नीरज शर्मा, कुलदीप शर्मा और वीरेंद्र राठौर के आपत्तिजनक बयान आग में घी का काम कर रहे हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हरियाणवियों को यह समझाने में कामयाब रहा है कि कांग्रेस के नेता सरकारी नौकरियों का खुलेआम सौदा कर युवाओं के सुनहरे भविष्य पर ताला लगाने का काम कर रहे हैं और हुड्डा एंड पार्टी ने नौकरियों के दलालों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। 

नमो ने तीन रैलियों से बदले समीकरण 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन रैलियों ने प्रदेश की राजनीति के समीकरण बदल दिए हैं। प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र में पहली जन आशीर्वाद रैली करके पहले से ही जीटी रोड बेल्ट पर मजबूत भाजपा को बड़ी बढ़त की ओर आगे बढ़ाया है। वहीं सोनीपत के गोहाना में दूसरी जन आशीर्वाद रैली कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ पर करारा प्रहार किया। प्रधानमंत्री ने हिसार में रैली कर बागड़ भूमि के सियासी समीकरणों को भी भाजपा के पक्ष में कर दिया। 

कांग्रेस की फूट उजागार 
चुनावी मैदान में जहां सारे भाजपा नेता विजय श्री के लिए एकजुट हैं, वहीं कांग्रेस नेता आपस में ही लड़ने में मशगूल है। हुड्डा गुट और सैलजा के बीच खाई पहले से ज्यादा बढ़ गई है। राहुल गांधी ने हुड्डा व सैलजा गुट को एक मंच पर लाने के प्रयास असफल हो गए हैं। सैलजा ने शनिवार को पार्टी के घोषणापत्र की लॉन्चिंग से किनारा करना साफ संकेत दे रहा है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है।