सस्ता होगा खाने का तेल, जमाखोरी पर भी लगाई जाएगी लगाम

 
सस्ता होगा खाने का तेल, जमाखोरी पर भी लगाई जाएगी लगाम
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Government Has Reduced Import Duty on Edible Oils - खाने के तेल की आसमान छूती कीमतों में आने वाले दिनों में कमी आ सकती है। ऐसा सरकार के एक ताजा फैसले से होगा बीते एक साल में खाने के तेल की कीमतों में अच्छी-खासी बढ़त हुई है। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के बाद खाद्य तेल की आसमान छूती कीमतों से आम लोगों की जेब पर बहुत असर पड़ा है। लेकिन खाने के तेलों के दाम में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार के फैसले से त्योहारों से पहले लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत मिल सकती है। आज खाद्य सचिव ने राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से मुलाकात के बाद उम्मीद जताई कि अक्टूबर से खाने के तेल के दाम कम होने लगेंगे।

दरअसल, केंद्र सरकार ने कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर लगने वाला आयात शुल्क को 6 महीने के लिए खत्म कर दिया है। क्रूड पाम ऑयल पर लगने वाला एग्री सेस सेस को 20 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। जबकि क्रूड सोया और सनफ्लावर पर सेस 5 फीसदी कर दिया गया है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने एक अधिसूचना में कहा कि शुल्क में कटौती 14 अक्टूबर से प्रभावी होगी और 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी यानी अगले साल 31 मार्च तक इन पर इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगेगा। हालांकि रिफाइंड सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर आयात शुल्क लगता रहेगा।

किस पर कितनी इम्पोर्ट ड्यूटी

एक साल कई तेलों के दाम 50% तक बढ़े। पिछले महीने में भी इंपोर्ट ड्यूटी घटाई थी। सरकार के ताजा फैसले के बाद क्रूड पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्यूटी 30.25 प्रतिशत से घटकर 24.75 प्रतिशत, क्रूड डीगम्ड सोयाबीन तेल पर 30.25 प्रतिशत से घटकर 24.75 प्रतिशत, क्रूड सन फ्लावर ऑयल पर 30.25 प्रतिशत से घटकर 24.75 प्रतिशत, आरबीपी पाम ओलीन पर 41.25 प्रतिशत से घटकर 35.75 प्रतिशत और रिफाइंड सोयाबीन ऑयल पर 41.25% से घटकर 35.75% हो गया है।

जमाखोरी पर सख्त है सरकार का रुख

सरकार का कहना है कि खाद्य तेलों के आयात पर कस्टम की दरों को कम करने के बावजूद कीमतों में कमी नहीं हो रही है और उसकी एक वजह जमाखोरी हो सकती है। इसलिए जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कारोबारियों, व्यापारियों, प्रसंस्करण करने वाली इकाइयों को अपने स्टॉक का खुलासा करना होगा। यह काम राज्य सरकारें करेंगी और उनको आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत यह अधिकार दे दिया गया है।