हरियाणा में कांग्रेस के पास 3000 से ज्यादा आवेदन, उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के साथ बज सकती है खतरे की घंटी

 
हरियाणा में कांग्रेस के पास 3000 से ज्यादा आवेदन, उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के साथ बज सकती है खतरे की घंटी
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हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए जितने उम्मीदवार ताल ठोंक रहे थे, वह अपने आप में प्रदेश की राजनीतिक विरासत को दिखाता है। 90 सीटों पर कांग्रेस के पास लगभग  3000 से अधिक उम्मीदवारों के आवेदन आए हैं। जिस बात के लिए कांग्रेस ढिंढोरा पीटती दिख रही है, असल में उसके लिए वही सबसे बड़े खतरे की घंटी है। कांग्रेस आलाकमान के लिए ये संख्या जी का जंजाल बन गई है।

हालांकि भाजपा यहाँ भी कांग्रेस पर बीस साबित हुई और टिकट बांटने के मामले में भी कांग्रेस को पछाड़ते हुए 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। यह बहादुरी भरा फैसला भाजपा के लिए बहुत फायदे का सौदा होने जा रहा है। जहां एक ओर कांग्रेस के अंदरूनी लोगों की माने तो कांग्रेस पार्टी में हुड्डा-सेलजा की गुटबाजी के कारण पार्टी इस मसले पर दूर-दूर तक किसी अंतिम फैसले पर पहुँचती दिखाई नहीं दे रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने हमेशा की तरह एक कदम आगे रहते हुए अधिकतर सीटों पर अपने मजबूत उम्मीदवारों की फौज खड़ी कर दी है

अब प्रदेश की अधिकतर सीटों पर जनता को जहां भाजपा की ओर से अपने उम्मीदवार के बारे में बेहतर ढंग से समझने और जानने का मौका मिलेगा, वहीं पार्टी के उम्मीदवारों को भी जनता के बीच जाकर सीधा संवाद करने और अपनी बात रखने के लिए अधिक समय मिलेगा। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के लिए अभी भी टिकट पाने की चाह रखने वालों की भीड़ सिर दर्द बनी हुई है। 


इतने उम्मीदवारों में से हर सीट पर किसी एक को ही टिकट मिल सकता है और जिन उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला, वो बागी हो कर कांग्रेस छोड़ भी सकते हैं, और पार्टी के विरोध में काम भी कर सकते हैं। इसी डर के कारण कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया उम्मीदवारों की घोषणा करने में देर कर रहे हैं।

जब भाजपा ने बड़ा कलेजा दिखाते हुए अपने टिकटों की घोषणा की, तो कांग्रेस ने अपने भविष्य को देखते हुए, पहले ही भाजपा के नेताओं की नाराजगी का माहौल बनाना शुरू कर दिया, जिससे जब कुछ दिनों बाद टिकटों की सूची जारी करने पर पार्टी की जो फजीहत हो उसे बैलेंस कर लिया जाए। 

भाजपा कार्यकर्ताओं की एकता और नेताओं की संगठन की शक्ति ने कांग्रेस के सारे पैंतरे फेल कर दिए हैं। भाजपा की संगठन शक्ति और उसका मैनेजमेंट से सब परिचित है और उसे पूरा भरोसा है कि वो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की सभी उम्मीदों और नाराज़गी को साध लेगी।