हरियाणा में घर से भागकर शादी करने वाले प्रेमी जोड़ो के लिए बड़ी खबर, देखिए पूरी खबर

 
हरियाणा में घर से भागकर शादी करने वाले प्रेमी जोड़ो के लिए बड़ी खबर, देखिए पूरी खबर
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हरियाणा के प्रेमी जोड़ों के लिए एक खुशी की खबर सामने आई है। अब प्रदेश पुलिस को प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंप दिया गया है। घर से भागने वाले कपल की शिकायत पर पुलिस को बिना देरी के तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करनी होगी। इस बारे में गृह विभाग ने अधिसूचना जारी की है।

आपको बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के बाद पुलिस द्वारा एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर) जारी की गई थी, लेकिन इसमें कुछ खामियां थी। इन्हें दुरुस्त करते हुए गृह सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने नए सिरे से अधिसूचना जारी की है।

हाई कोर्ट द्वारा जारी किये गए यह आदेश केवल शादीशुदा कपल्स पर ही नहीं, बल्कि उन पर भी लागू होंगे, जो घर से तो भागे हुए हैं लेकिन अभी तक शादी नहीं की है। 

अगर प्रेमी जोड़े के अलग होने पर किसी एक ने भी अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस में शिकायत की, तो उसकी भी सुनवाई की जाएगी। थानों में इस तरह के मामलों की सुनवाई कम से कम ASI रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी। अधिकारी को इस तरह की शिकायत पर तुरंत प्रभाव से एक्शन लेना होगा। वहीं एक्शन लेते हुए संबंधित जिले के नोडल अधिकारी को भी सूचित करना होगा। 

जिला पुलिस आयुक्त/पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले में एसीपी (महिला सुरक्षा) या डीएसपी (महिला सुरक्षा) को नोडल अधिकारी नामित करना होगा। अगर किसी जिले में एसीपी/डीएसपी (महिला सुरक्षा) नहीं है, तो इसके लिए संबंधित पुलिस आयुक्त/पुलिस अधीक्षक को किसी अधिकारी को नामित करना होगा।

फैसला नहीं आने तक देनी होगी सुरक्षा 
थाने में एएसआई के पास शिकायत आने के बाद उसे दोनों पक्षों (लड़का व लड़की) की बात सुननी होगी। इसके बाद उसे अपना फैसला देना होगा। इतना ही नहीं, जब तक फैसला नहीं हो जाता तब तक प्रेमी जोड़े को सुरक्षा मुहैया करवानी होगी। एएसआई के फैसले से अंसतुष्ट होने पर संबंधित पक्ष पुलिस आयुक्त/पुलिस अधीक्षक के पास अपील कर सकेंगे। उन्हें तीन दिनों के अंदर इस तरह के मामलों की सुनवाई करके निपटारा करना होगा।

हेल्प डेस्क करने होंगे स्थापित 
पुलिस स्टेशन में जोड़े की ओर से शिकायत आने के बाद जांच में अगर अधिकार क्षेत्र का मामला बनता है तो संबंधित एएसआई को बिना किसी देरी के केस को संबंधित थाने में भेजना होगा। इस मामले में देरी या कोताही करने पर संबंधित अधिकारी जवाबदेह होंगे। इसके साथ ही हर जिला पुलिस कार्यालय में सातों दिन और 24 घंटे काम करने वाले हेल्प डेस्क स्थापित करने होंगे। जीवन और आजादी का खतरा होने के मामले में हेल्प डेस्क तुरंत एक्शन लेंगे। इसका पूरा डिजिटल रिकॉर्ड भी रखना होगा।