UP : छात्रा की मौत के नौ घंटे बाद गैंगस्टर हुआ ढेर....जाने पूरी कहानी कब क्या हुआ ?
उससे पूछताछ में पुलिस को जरूरी सुराग मिले थे। माना जा रहा है कि इन सुरागों के जरिये ही पुलिस उस तक पहुंची थी। हालांकि, पुलिस कहती है कि चेकिंग के दौरान उसके साथ मुठभेड़ हुई।
इस मामले में पुलिस को पहली कामयाबी वारदात के 27 घंटे बाद 28 अक्तूबर की शाम को मिली थी। चेकिंग के दौरान मुठभेड़ में बदमाश बलवीर पकड़ा गया था। वह भी वारदात में शामिल था। उसने ही बताया था कि मुख्य आरोपी जितेंद्र है।
इसके बाद से ही पुलिस ने जितेंद्र की तलाश तेज कर दी थी। उसके सभी रिश्तेदारों के घर भी दबिश दी थी। जितेंद्र के ढेर हो जाने से मोबाइल लूट की घटना के 60 घंटे बाद पुलिस का ऑपरेशन पूरा हुआ।
27 अक्तूबर
शाम साढ़े चार बजे वारदात हुई। एक घंटे बाद उसे पिलखुवा के जीएस मेडिकल काॅलेज में भर्ती कराया गया। वहां से रेफर कर दिया गया।
रात 10 बजे गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर सिर का आपरेशन किया गया।
28 अक्तूबर
शाम को साढ़े सात बजे सिकरोडा रोड पर पुलिस चेकिंग के दौरान मुठभेड़ में बदमाश बलवीर पकड़ा गया। उससे पूछताछ में अहम सुराग मिले।
रात में पुलिस ने दूसरे बदमाश जितेंद्र की तलाश में दबिश दी लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका। पूरे जिले में उसकी तलाश शुरू कर दी गई।
29 अक्तूबर
सुबह नौ बजे मसूरी थाना के प्रभारी रविंद्र चंद्र पंत को निलंबित कर दिया है। साथ ही थाने में इंस्पेक्टर तनवीर आलम और पुनीत सिंह को लाइन हाजिर किया गया।
शाम साढ़े सात बजे कीर्ति ने यशोदा अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम हो जाने के बाद रात में परिजन शव को हापुड़ ले गए।
30 अक्तूबर
सुबह चार बजे मसूरी में नहर पटरी पर पुलिस के साथ मुठभेड़ में मुख्य आरोपी गैंगस्टर जितेंद्र मारा गया। उसका साथी भाग निकला।
सुबह पांच बजे, भारी भीड़ ने गंगा के किनारे, गढ़ मुक्तेश्वर में कीर्ति का अंतिम संस्कार किया।