दिल दहला देगी कत्लेआम की ये कहानी, लालच, कर्ज और खजाने के तिलिस्म ने ले ली 9 लोगों की जान

 
दिल दहला देगी कत्लेआम की ये कहानी, लालच, कर्ज और खजाने के तिलिस्म ने ले ली 9 लोगों की जान
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महाराष्ट्र के सांगली से करीब 3 माह पहले एक दिल दहला देने वाली खबर आई थी. खबर ये थी कि दो भाइयों के परिवार के 9 लोगों ने खुदकुशी कर ली. लेकिन बाद में इस कहानी में एक नया मोड़ आया. पुलिस ने कहा कि मामला सामूहिक आत्महत्या का नहीं बल्कि कत्ल-ए-आम का है. इस वारदात को अंजाम देने वाला कोई आम इंसान नहीं बल्कि दो तांत्रिक हैं, जिन्होंने इस पूरे परिवार की बलि चढ़ा दी. अब सवाल था कि उन तांत्रिकों ने ऐसा क्यों किया?

गांव के दो घर, 9 लाशें

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 375 किलोमीटर दूर बसा सांगली जिला. उसी जिले का एक गांव है म्हैसाल. उस दिन इसी गांव से दहला देने वाली खबर सामने आती है. गांव में एक ही परिवार के 9 लोग रहस्यमयी तरीके से मरे हुए पाए जाते हैं. मरने वालों में 54 के टीचर पोपट यल्लपा वानमोरे उनकी पत्नी संगीता पोपट वनमोरे (48), अर्चना पोपट वनमोरे (30), शुभम पोपट वनमोरे (28), माणिक यल्लाप्पा वनमोरे (49), रेखा माणिक वनमोरे (45), अनिता माणिक वनमोरे (28), अक्काताई वनमोरे (72) और आदित्य माणिक वनमोरे शामिल थे.

उकसाने के आरोप में 19 लोगों की गिरफ्तारी

ये मामला कर्ज के चलते सामूहिक खुदकुशी का बताया जा रहा था. कहा जा रहा था कि लोगों से लिया गया लाखों का कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से इस पूरे परिवार ने एक साथ जहर पीकर जान दे दी. इसके बाद पुलिस कार्रवाई करते हुए इस परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 19 लोगों को गिरफ्तार भी कर लेती है. लेकिन एक सप्ताह बीतते बीतते ये पूरा मामला पलट जाता है.

पलट गई पूरी कहानी

दिल दहला देगी कत्लेआम की ये कहानी, लालच, कर्ज और खजाने के तिलिस्म ने ले ली 9 लोगों की जान

जो पुलिस इस मामले को एक हफ्ते पहले तक सामूहिक आत्महत्या बता रही थी, वही पुलिस अब सामने आकर कहती है कि यह मामला सामूहिक खुदकुशी का नहीं बल्कि मास मर्डर यानी सामूहिक हत्याकांड का है. और इस कत्ल-ए-आम के पीछे कर्ज नहीं बल्कि गुप्त धन यानी खुफिया खजाने की एक ऐसी रहस्यमयी कहानी छुपी है, जिसकी सारी परतें खुलना बाकी है.

गुप्त खजाने का लालच

पुलिस इसे सामूहिक हत्याकांड ही नहीं बताती बल्कि इस मामले में एक तांत्रिक और उसके चेले को भी गिरफ्तार कर लेती है. ये वही तांत्रिक था, जिसने इस परिवार को गुप्त खजाने का सपना दिखाया था. क्या है ये गुप्त खजाना? कहां गड़ा है ये खजाना? एक तांत्रिक ने आखिर कैसे एक पढ़े लिखे परिवार को गुप्त खजाने का सपना दिखाया? धन ना सही, पर कैसे एक तांत्रिक ने पूरे के पूरे परिवार का कत्ल क्यों कर दिया.

पहले खुदकुशी बता रही थी पुलिस

एक साथ इतने लोगों की हत्या इतनी खामोशी से कैसे की गई? किसी को कानोकान इतने बड़े कांड की खबर क्यों नहीं हुई? पास पड़ोस के लोगों को भी इतनी बड़ी वारदात का पता कैसे नहीं चला? पुलिस ने पहले इसे खुदकुशी का मामला क्यों बताया? और अब पुलिस इसे कत्ल का केस क्यों बता रही है? इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए इस पूरी वारदात को सिलसिलेवार तरीके से समझना ज़रूरी है.

सोमवार, 20 जून 2022, सुबह 6 बजे

दिल दहला देगी कत्लेआम की ये कहानी, लालच, कर्ज और खजाने के तिलिस्म ने ले ली 9 लोगों की जान

म्हैसाल गांव में दो वानमोरे भाई अलग-अलग मकानों में अपने परिवार के साथ रहते थे. दोनों घरों के बीच की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर की है. वानमोरे परिवार के लोग उसी गांव के रहने वाले एक परिवार से रोज दूध खरीदा करते थे. वानमोरे परिवार से कोई ना कोई सदस्य रोज सुबह दूध लेने उस परिवार के घर जाता था. लेकिन सोमवार की सुबह ना तो कोई दूध लेने गया और ना ही घर का दरवाजा खुला. यहां तक कि वानमोरे परिवार के लोगों के मोबाइल फोन या तो बंद थे, या फिर उन पर केवल रिंग जा रही थी. मगर कोई जवाब नहीं मिल रहा था.

पोपट वानमोरे समेत परिवार के 3 लोग मृत

ऐसे में गांव की एक लड़की दूध पहुंचाने के लिए पोपट वानमोरे के घर पहुंची. लेकिन वहां का मंजर देखकर वो कांप उठी. उसके होश उड़ गए. उस घर में रहने वाले सारे लोग मुर्दा हालत में पड़े थे. यानी पोपट यल्लपा वानमोरे, उनकी पत्नी संगीता वानमोरे और 30 साल की बेटी अर्चना वानमोरे मर चुके थे. एक साथ एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत की खबर गांव में आग की तरह फैल गई.

डॉ. माणिक वानमोरे समेत 6 लोगों की मौत

क्योंकि इसी गांव में पोपट वानमोरे के छोटे भाई माणिक वानमोरे भी अपने परिवार के साथ रहते थे, लिहाजा, गांव के लोग फौरन उनके घर पहुंचे. ताकि उन्हें इस वारदात की खबर की दी जा सके. लेकिन वहां एक और झकझोर देने वाली खबर उनका इंतजार कर रही थी. ठीक पोपट वानमोरे के परिवार की तरह ही वहां भी डॉ. माणिक वानमोरे समेत उनके परिवार के सभी 6 लोग मुर्दा पड़े थे. 45 साल की उनकी पत्नी रेखा वानमोरे, भतीजा शुभम वानमोरे, अनीता वानमोरे, बेटा आदित्य वानमोरे, उनकी बुजुर्ग मां अक्काताई वानमोरे की लाश मौके पर पड़ी थी.

जांच के बाद पोस्टमॉर्टम के लिए भेजी लाशें

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क्योंकि लाशों के आस-पास कहीं भी कोई खून-खराबे या हमले के निशान नहीं थे, इसलिए पहली ही नजर में यह मामला सामूहिक आत्महत्या का लग रहा था. आनन फानन में सांगली पुलिस को खबर दी गई. एक साथ 9 लोगों की मौत की खबर सुनकर पुलिस भी सिर पर पांव रख कर मौका-ए-वारदात की तरफ दौड़ पड़ी. दोनों घरों का मुआयना किया गया. फिर बारिकी से एक-एक लाश की जांच की गई. फिर एक-एक कर उन लाशों को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया.

सुसाइड नोट और जहर की शीशी बरामद

गांववालों की तरह पुलिस भी पहले इसे खुदकुशी का मामला मानकर चल रही थी. क्योंकि पुलिस को मौका-ए-वारदात की जांच पड़ताल के दौरान दो ऐसी चीज़ें मिली थी. जो इसी तरफ इशारा कर रही थी. इनमें एक था सुसाइड नोट और दूसरी थी जहर की शीशी. सुसाइड नोट में कई लोगों के नाम लिखे थे. जिनसे वानमोरे बंधुओं ने लाखों रुपये उधार ले रखे थे. ऐसे में शक हो रहा था कि शायद इन्हीं लोगों ने वानमोरे परिवार पर ऐसा दबाव बनाया कि पूरे परिवार ने जान दे दी.

कई लोगों से लिया था लाखों का कर्ज

अब पुलिस ने मामले की जांच आगे बढ़ाई. पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ शुरू कर दी, जिनके नाम सुसाइड नोट में वानमोरे परिवार ने लिखे थे. इस दौरान पूछताछ में पता चला कि वाकई वानमोरे बंधुओं ने उन लोगों से सचमुच लाखों रुपये उधार ले रखे थे. इसी वजह से मामले की तफ्तीश खुदकुशी की तरफ ही बढ़ने लगी. सुसाइड नोट में मृतक परिवार ने कर्ज देने वाले छोटे-बड़े साहूकारों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था.

माना जा रहा था कि गुप्त धन की लालसा में वनमोरे बंधुओं ने कर्ज भी लिया हुआ था. इस मामले में 25 आरोपियों में से 19 को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया गया था. लेकिन पुलिस की जांच यहीं नहीं ठहरी. क्योंकि सवाल ये था कि आखिर वानवोरे परिवार को इतना कर्ज लेने की क्या ज़रूरत थी? वो भी तब जब दोनों भाई अपनी नौकरी और काम धंधे में पूरी तरह से जुटे थे. घर की बड़ी बेटी भी बैंक में काम करती थी. कुल मिलाकर पुलिस को इतने बड़े कर्ज लेने की वजह समझ नहीं आ रही थी.

राइस पुलर मेटल की डील का जिक्र

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तभी पुलिस की छानबीन के दौरान एक नई कहानी सामने आई. ये कहानी थी राइसपुलर मेटल यानी चावल खींचने वाले धातु की. असल में वानमोरे बंधु अक्सर लोगों से ऐसे किसी रहस्यमयी धातु की बात करते रहते थे. वो अक्सर गांववालों को कहते थे कि उनकी किसी से राइस पुलर मेटल को लेकर डीलिंग चल रही है. उस डील के पूरा होते ही उन्हें 3000 करोड़ रुपये मिलेंगे. ये रकम उन्हें किसी विदेशी कंपनी से मिलेगी. इस डील को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ही वो लाखों रुपये की ज़रूरत बताते थे. इसी ज़रूरत को पूरा करने के लिए वो लाखों रूपये उधार भी ले रहे थे.

राइल पुलर मेटल की हकीकत

लेकिन इस डील की हकीकत क्या थी? और इसका आखिरी अंजाम क्या होना था? ये समझने से पहले जान लीजिए कि ये राइस पुलर मेटल क्या है? राइस पुलर मेटल के ज़रिए रातों रात अमीर बनने की ये कहानी सिवाय झूठ के और कुछ भी नहीं. वानमोरे बंधु इसी झूठी कहानी के फेर में पड़ गए थे. असल में देशभर में बहुत से ठग इस राइस पुलर मेटल की कहानी सुनाकर लोगों से लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं.

ठग बताते हैं कि ये मेटल प्राचीन काल के ऐसे सिक्के, लोटे या बर्तन होते हैं, जिनमें एक खास किस्म की उर्जा होती है. और इसी उर्जा के चलते नासा जैसी संस्था समेत कई कंपनियां ऐसे मेटल को सैंकड़ो करोड़ रूपये चुका कर खरीद लेती हैं. इस तरह के मेटल की शक्ति को जांचने के लिए उसे अक्सर चावल के करीब रखकर चावल को खींचने का ड्रामा भी किया जाता है. और इस तरह लोगों की आंखों में धूल झोंककर उनसे लाखों रुपये ऐंठ लिए जाते हैं. सूत्रों की मानें तो वानमोरे परिवार ऐसे ही फरेब में पड़कर लाखों रुपये के कर्ज तले दब चुका था.

खुदकुशी नहीं कत्ल की आशंका

पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो पुलिस ने वानमोरे परिवार से मिलने जुलने वाले लोगों के बारे में पता लगाना शुरु किया साथ ही उनके जान पहचानवालों से पूछताछ भी की. पुलिस ने यह जानने की कोशिश भी कि आखिर वानमोरे परिवार को राइस पुलर मेटल का झांसा किसने दिया? और मरने से पहले वानमोरे परिवार के सदस्य किससे मिले थे?

पुलिस ने मौका-ए-वारदात के बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. इस कोशिश के दौरान पुलिस को कई ऐसी चीज़ें नजर आईं, जो शक पैदा कर रही थीं. यानी जो मामला ऊपर से खुदकुशी का लग रहा था, अब पुलिस को लगने लगा था कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश भी हो सकती है. यानी वो मामला कत्ल का भी हो सकता है

तफ्तीश में बड़ा खुलासा

बेशक पुलिस वानमोरे परिवार को खुदकुशी के लिए उकसाने के इल्जाम में कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन पुलिस ने कत्ल वाली थ्योरी की जांच पड़ताल करने का भी फैसला किया. और जब पुलिस ने तफ्तीश को इस दिशा में आगे बढ़ाया तो जो कहानी सामने आई, उसने सबको हैरान कर दिया. जी हां ये मामला खुदकुशी का नहीं बल्कि कत्ल का ही था.

दो तांत्रिकों पर शक

पुलिस ने इस कोशिश में मौका-ए-वारदात पर पड़ी चीज़ों, लाशों, उन पर पड़े निशानों, आस-पास के सीसीटीवी कैमरों और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट वगैरह का बेहद गहराई से मुआयना किया. इस दौरान पुलिस की नजर चार ऐसे सुरागों पर पड़ी, जिसने मामले का रुख मोड़ दिया. असल में इस पूरी वारदात के पीछे दो तांत्रिकों का माया जाल था.

प्रसाद में मिलाकर खिलाया था जहर

उन दोनों ने ही 19 जून की रात वानमोरे परिवार के घरों में अनुष्ठान का ड्रामा किया था. फिर एक-एक कर दोनों परिवार को लोगों को अनुष्ठान वाली जगह से दूर यानी घर की छत पर भेज दिया. इसके बाद वो एक एक कर सबको नीचे बुलाते रहे और उन्हें प्रसाद बताकर कोई जहरीली चीज़ खिलाते रहे. वो जहरीली चीज़ चाय थी. ये पक्की बात है कि उस तांत्रिक जोड़े ने वानमोरे परिवार के 9 लोगों को जहरीला प्रसाद खिलाकर उनकी जान ले ली.

सीडीआर और सीसीटीवी ने खोला राज

पुलिस जांच के दौरान एक गाड़ी का पता चला.फिर सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जांची गई तो उस वाहन की लोकेशन सोलापुर में पाई गई. खोजबीन में वाहन का इस्तेमाल करने वाला अब्बास मोहम्मद अली बागवान निकला. फिर पुलिस ने वानमोरे बंधुओं की कॉल डिटेल्स निकाली और तफ्तीश की. तब भी यही दो और नाम अब्बास मोहम्मद अली बागवान और धीरज चंद्रकांत सुरवासे सामने आए. इसके बाद पुलिस ने अब्बास बागवान और उसके ड्राइवर धीरज चंद्रकांत सुरवासे को सोलापुर से गिरफ्तार कर लिया. दोनों से पूछताछ की गई तो सारा मामला खुल गया.

आरोपी पहुंचे जेल

अब्बास तंत्र मंत्र का काम करता था. धीरज चंद्रकांत उसका शिष्य और ड्राइवर था. इन दोनों ने ही वानमोरे बंधुओं से लाखों रूपये की ठगी की और फिर बचने के लिए उन सबको मार डाला. पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. उनसे पूछताछ के दौरान पुलिस को और भी कई मामले सामने आने की उम्मीद थी.