आपसी सहमती से संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किया आरोपी को बरी

हाईकोर्ट और दिल्ली की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने युवक को शादी का वादा करके एक विवाहित महिला से शारिरिक संबंध बनाने के आरोप से बरी किया है। 
 
आपसी सहमती से संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं
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हाईकोर्ट और दिल्ली की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने युवक को शादी का वादा करके एक विवाहित महिला से शारिरिक संबंध बनाने के आरोप से बरी किया है। 

महिला ने आरोपी शख्स के साथ रहने के लिए अपने पति और 3 बच्चों को भी छोड़ दिया था। बता दें कि आरोपी युवक भी शादीशुदा था। 

युवक को सुनाई थी 7 साल की सजा 

हाई कोर्ट ने दिल्ली निवासी नईम अहमद को रेप के आरोप में दोषी ठहराते हुए 7 साल की कैद सजा सुनाई थी।  लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस युवक को बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया। बरी करने के बाद  कोर्ट ने कहा कि सहमति से बने शारीरिक संबंध में दरार आने के बाद अक्सर महिलाओं द्वारा बलात्कार आरोप का इस्तेमाल किया जाता है। 

महिला ने SC के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा 

पीड़ित महिला ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट और निचली अदालत ने युवक के खिलाफ सही निष्कर्ष निकाला था। अहमद ने शादी का वादा शारीरिक संबंध बनाने के इरादे से किया था। वहीं अहमद के वकील ने कहा कि महिला ने मोटी रकम की मांग की थी, जिसको पूरा करने में असमर्थ रहे युवक पर बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई। 

जानिए मामला 

महिला अपने पति और बच्चों को छोड़कर 2009 में भाग गई थी और तब से वह अहमद के साथ रह रही थी। इसके बाद 2011 में एक लड़का पैदा हुआ। लेकिन इसके बावजूद भी अहमद ने शादी नहीं की। वहीं जब किसी कारण महिला 2012 में जब युवक के निवास स्थान पर गई तो उसे पता चला कि वह विवाहित है और उसके पास पहले से ही बच्चे हैं।

इतना होने के बावजूद भी महिला ने 2014 में अपने पति से तलाक ले लिया और अपने तीन बच्चों को छोड़ गई। इतना सब होने के बाद भी अहमद शादी ने शादी नहीं की, जिसके बाद 2015 में महिला ने उसके खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवा दिया।