Uttarkashi Mela: यहां सीटी बजाने पर प्रकट हो जाते हैं भगवान, अवतरित होते हैं भगवान, जानिए कब से है ये अनोखी  परम्परा
 

Uttarkashi Mela: एक ऐसी जगह जहां पर सीटी बजाने से भगवान प्रकट हो जाते हैं। ये बात सुनने में बड़ी अजीब है लेकिन ये सच है।  
 

Uttarkashi Mela: एक ऐसी जगह जहां पर सीटी बजाने से भगवान प्रकट हो जाते हैं। ये बात सुनने में बड़ी अजीब है लेकिन ये सच है।  उत्तरकाशी का प्रसिद्ध माघ मेला (बाड़ाहाट कु थौलू) का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में बाड़ागडी पट्टी के अराध्य देव हरिमहाराज की 

पूजा अर्चना और उनका आह्वान किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है की महाभारत काल से जुडी हुई माघ मेले का अपना धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। उन्होंने 

बताया की हरिमहाराज भगवान शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का रूप हैं। हरिमहाराज का भाई हुणेश्वर देव को माना जाता है।यह दोनों भाई सीटी बजाकर ही 

एक दूसरे को संकेत देते थे। तब से लेकर अब तक सीटी बजाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि बिना सीटी बजाए हरिमहाराज अपने पाश्वा पर अवतरित नहीं होते, ग्रामीण श्रद्धालु सीटी बजाकर ही अपने देव को प्रसन्न करते हैं।

महाभारत काल से जुड़ा हुआ है यह मेला

उत्तरकाशी के माघ मेले का अपना धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। धार्मिक 

मान्यताओं में यह मेला महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। जबकि ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह मेला भारत और तिब्बत के व्यापार का साक्षी रहा है।

भगवान कार्तिकेय का रूप हैं हरिमहाराज

ग्रामीणों ने बताया की हरिमहाराज भगवान शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का रूप हैं। 

यह बाडागड़ी स्थित हरिगिरी पर्वत पर कुज्ब नामक स्थान पर निवास करते हैं। यह बाड़ागडी पट्टी के अराध्य देव हैं। हरिमहाराज का भाई हुणेश्वर देव को माना जाता है।

दोनों भाई सीटी बजाकर देते थे एक दूसरे को संकेत

कालांतर में यह दोनों भाई सीटी बजाकर ही एक दूसरे को संकेत देते थे। तब से लेकर अब तक सीटी बजाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि बिना सीटी बजाए हरिमहाराज अपने पाश्वा पर अवतरित नहीं होते, ग्रामीण श्रद्धालु सीटी बजाकर ही अपने देव को प्रसन्न करते हैं।

माघ मेले (बाड़ाहाट कु थौलु) में बाड़ागडी पट्टी के अराध्य देव हरिमहाराज की झांकी भी निकली गई। जिसमें बाड़ागड़ी के मुस्टिकसौड़, कुरोली, बोंगाड़ी, कंकराड़ी, मस्ताड़ी, बोंगा, भेलुड़ा, डांग, पोखरी, कंसैंण, कोटियाल गांव, लदाड़ी, जोशियाड़ा, थलन, मंगलपुर, साड़ा समेत कई गांव ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया।

अराध्य देव को प्रसन्न कर निकाली शोभा यात्रा 

डांग गांव की थात से हरिमहाराज का ढौल, खंडद्वारी माता और नागदेवता डोली के साथ माघ मेला खेला। इस दौरान श्रद्धालुओं ने सीटी बजाकर अपने अराध्य देव को प्रसन्न किया और शोभा यात्रा निकालकर चमाला की चौंरी में पहुंचे। यहां ग्रामीण श्रद्धालुओं ने अपने अराध्य देव की विधिविधान से पूजा अर्चना कर रासों नृत्य किया।