Mughal Harem History: मुगल बादशाही की मौत के बाद ये काम करती थी रानियां, संतान न होने पर शाही दरबार रखता था ध्यान 

इतिहासकारों ने अपनी किताबों में मुगलों के शानों- शौकत और उनके ऐशो आराम की जिंदगी से जुड़े कई राज खोले है।
 

Mughal Harem History:  इतिहासकारों ने अपनी किताबों में मुगलों के शानों- शौकत और उनके ऐशो आराम की जिंदगी से जुड़े कई राज खोले है। मुगलों में भारत में कई सालों तक राज किया और वह अपने ऐशो आराम के लिए जाने जाते थे।

मुगल बादशाह मनोरंजन के लिए हरम में जाया करते थे। मुगल हरम वो जगह थी, जहां मुगल बादशाहों की रानियां और दासियां रहती थी। वह उनके साथ अय्याशी करते थे। लेकिन बादशाहों की मौत के बाद उन रानियों का क्या होता था और वह कहां जाती थी, ये सवाल हर किसी के जहन में आता है।


दरअसल मुगल बादशाही की मृत्यु के बाद उनकी रानियों की स्थिति और उनके जीवन के बारे में कई बातें इतिहाश और परंपराओं पर निर्भर करती है। इतिहासकारों के मुताबिक मुगल सम्राटों की रानियों को उनकी मृत्यू के बाद भी शाही दरबार में आर्थिक समर्थन मिलता था। 

उन्हें पेंशन और अन्य सुविधाएं भी दी जाती थी। इतिहासकार बताते है कि मुगल बादशाह की मौत के बाद भी मुगल हरम चलता रहता था। वहां रहने वाली शासक की रानियों और सेविकाओं की सुविधाओं का ख्याल रखा जाता था। यदि किसी रानी की संतान नहीं होती थी तो उनकी सुरक्षा और परवरिश का ध्यान शाही दरबार रखता था। यदि उनके पुत्र या पुत्री सत्ता में आते तो रानी का प्रभाव और स्थिति बनी रहती थी। 


बादशाह की मौत के बाद भी रानियों का दर्जा और सम्मान बना रहता था। उन्हें बेगम के रूप में सम्मानित किया जाता था। वहीं कुछ रानियां धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन अपनाती थी और मठ या फिर धार्मिक स्थानों में चली जाती थी। कुछ रानियां महल में रह कर अपने बच्चों की गद्दी पर बैठने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेती थी।