Success Story: जिम्मेदारी ने बना दिया समझदार, 14 साल में एंगेजमेंट 15 में शादी फिर 16 में बच्चा कुछ ऐसा रहा है ब्‍यूटी इंडस्‍ट्री की क़्वीन का सफर
 

शहनाज हुसैन शहनाज हर्बल्स इकाई की सीईओ हैं। वह एक प्रमुख भारतीय महिला उद्यमी है जिन्हें अपने हर्बल सौंदर्य प्रसाधनों के लिए जाना जाता है जिनमें त्वचा की देखभाल के उत्पाद सबसे प्रमुख हैं।
 

 Success Story of Shahnaz Hussain : कहते हैं जिम्मेदारी ऐसी चीज होती है जो इन्सान को बिलकुल बदल देती है। यदि इंसान पर जिम्मेदारी पद जाये तो उसे न चाहते हुए भी उस जिम्मेदारी को निभाना पड़ता है। ऐसा ही कुछ हुआ था ब्‍यूटी इंडस्‍ट्री की जानी मानी हस्ती सहनाज शहनाज हुसैन के साथ। आज दुनिया में नाम कमाने वाली शहनाज हुसैन ऐसी रही है सफलता की कहानी ... 

शहनाज हुसैन शहनाज हर्बल्स इकाई की सीईओ हैं। वह एक प्रमुख भारतीय महिला उद्यमी है जिन्हें अपने हर्बल सौंदर्य प्रसाधनों के लिए जाना जाता है जिनमें त्वचा की देखभाल के उत्पाद सबसे प्रमुख हैं। 2006 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था जोकि भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक नागरिक पुरस्कार है। वर्ष 1996 में उन्हें सफलता पत्रिका "विश्व की सबसे महान महिला उद्यमी" का पुरस्कार मिला था।

शहनाज हुसैन को आज भला कौन नहीं जानता। देश-विदेश में उनके हर्बल कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍टों की धूम है। इन प्रोडक्‍टों को हाथों-हाथ लिया जाता है। शहनाज हुसैन वो महिला उद्यमी हैं जिनका नाम ही ब्रांड बन गया। हालांक‍ि, सफलता का यह रास्‍ता इतना आसान भी नहीं था। कभी घर के बरामदे से उन्‍होंने अपने ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट बेचे हैं। 15 साल की छोटी उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। घर की तमाम जिम्‍मेदारियां उन पर पड़ गई थीं। लेकिन, उन्‍होंने फैसला कर लिया था कि वह इनसे ऊपर उठकर कुछ करेंगी। इसके बाद में शहनाज हुसैन ने अपने हर्बल और आयुर्वेदिक प्रोडक्‍ट बनाकर पूरी दुनिया में धाक जमाई। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी उनकी दोस्‍ती रही है। 2006 में शहनाज हुसैन को पद्मश्री सम्‍मान से नवाजा गया था। 

शहनाज हुसैन का सफल आंत्रप्रेन्‍योर बनने का सफर कभी आसान नहीं था। जब वह 14 साल की थीं तो उनकी एंगेजमेंट हो गई थी। 15 साल में शहनाज की शादी हो गई थी। इस तरह बहुत छोटी उम्र में उन पर जिम्‍मेदारियों का बोझ पड़ गया था। हालांकि, इस बोझ को उन्‍होंने कभी हावी नहीं होने दिया।

शहनाज ने तय कर लिया था कि वह सिर्फ घर में पत्‍नी और मां की भूमिका तक सीमित नहीं रहेंगी। उन्‍हें कुछ बड़ा करना है। उनके पिता जस्टिस नासिर उल्‍ला बेग इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस थे। पिता की मदद से हेलेना रुबिनस्‍टीन स्‍कूल में उन्‍होंने दाखिला लिया। यहां से ब्‍यूटी टेक्‍नीक्‍स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍होंने जर्मनी में इसी से जुड़े कोर्स किए। भारत लौटने पर उन्‍होंने अपनी कॉस्‍मेटिक फर्म शुरू की।