IAS Success Story: इस आईएएस की कहानी सुन भावुक हो जाएंगे आप, साइकिल का पंक्चर लगाने वाला इस तरह बना अफसर, ऐसी रही है इनकी जर्नी
Ias Varun Kumar Success Story: UPSC की परीक्षा को देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन पास केवल चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं। क्योकि इसे पास करने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। इसके साथ लगभग हर विषय का ज्ञान होना भी जरूरी है। ऐसी बहुत जिन्होंने खूब मेहनत कर इस मुकाम को हासिल किया है।
पिता को खो दिया, मां ने दिया हौंसला
आज हम आपको ऐसे ही एक अफसर की जर्नी के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने कम उम्र में अपने पिता को खो दिया और पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया, लेकिन उनके आस-पास के कुछ लोगों ने उन्हें अपने IAS अफसर बनने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद की।
जी हाँ हम यहा बात कर रहे हैं वरुण बरनवाल की। महाराष्ट्र के पालघर जिले के छोटे से शहर बोईसर के एक आईएएस अधिकारी हैं, जो हमेशा डॉक्टर बनने का सपना देखते थे।
पिता चलाते थे साइकिल पेंचर की दुकान
आईएएस वरुण के पिता साइकिल मैकेनिक थे, जो साइकिल रिपेयरिंग की एक छोटी सी दुकान चलाते थे। उनके पिता ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए कड़ी मेहनत की। वरुण कुमार बरनवाल ने 2006 में अपने पिता को खो दिया। अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद, परिवार का आर्थिक बोझ उनके युवा कंधों पर आ गया क्योंकि वे अपने परिवार में सबसे बड़े पुरुष थे।
पिता के जाने के बाद घर का गुजारा चलाने के लिए वरुण बरनवाल पंचर की दुकान चलाते थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद वरुण ने अपने पिता की दुकान की जिम्मेदारी संभालने और अपने परिवार की देखभाल करने का फैसला किया था। इन सबके बीच वरुण बरनवाल ने 10वीं की परीक्षा में अपनी कक्षा में टॉप किया था.
जब वरुण की मां ने पढ़ने के प्रति उनकी लगन और जीवन में कुछ करने की चाह देखी तो उन्होंने दुकान की जिम्मेदारी संभाली और उन्हें आगे पढ़ाई जारी रखने को कहा। इसके बाद जब भी वरुणकुमार को कोई दिक्कत हुई, तो उनके पिता जी के मित्र ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया। फिर चाहे वह पारिवारिक तौर पर हो या आईएएस बनने की जर्नी के दौरान की हो।
स्कूली शिक्षा के बाद वरुण ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन मेडिकल की पढ़ाई की फीस बहुत ज्यादा थी, इसलिए उन्होंने इसके बजाय इंजीनियरिंग की तैयारी करने का फैसला किया। वरुण ने एमआईटी कॉलेज पुणे में एडमिशन लिया और कॉलेज से स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए अपने इंजीनियरिंग कोर्सेज के पहले सेमेस्टर में कड़ी मेहनत की। वरुण के दोस्तों ने उनकी मदद की और उन्हें किताबें लाकर दी, और उनके कठिन समय में उनका साथ दिया।
नौकरी के साथ की यूपीएससी की तैयारी
इसके बाद उन्हें एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। उनका परिवार चाहता था कि वे अपनी एमएनसी की नौकरी जारी रखें, लेकिन वरुण सिविल सेवाओं के साथ आगे बढ़ना चाहते थे। परीक्षा की तैयारी के लिए उन्हें एनजीओ से मदद मिली जिन्होंने उन्हें किताबें मुहैया कराईं। इसके बाद बरनवाल ने यूपीएससी आईएएस 2016 की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बन गए।