Rohtak parliament Seat : रोहतक: हॉट सीट पर हुड्डा घराने का दबदबा

 

लोकसभा का गणित सीरिज में आज आपको जानकारी देंगे रोहतक संसदीय सीट के बारे में। हरियाणा की रोहतक संसदीय सीट हमेशा से 'हॉट' सीट रही है। इस सीट पर देवीलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चुनावी जंग के किस्से और यहां पर हुड्डा परिवार के नाम कई अनूठे रिकॉर्ड आज भी प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में दर्ज हैं।

इसके अलावा इस सीट से कई अन्य रोचक तथ्य भी जुड़े हैं। रोहतक एक ऐसी संसदीय सीट है, जहां से पहले दादा सांसद बना, फिर बेटा और फिर पौता। इस लिहाज से एक सीट से तीन पीढिय़ों को सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। खास बात यह है कि रोहतक सीट से पिता-पुत्र भूपेंद्र हुड्डा व दीपेंद्र हुड्डा ने जीत की हैट्रिक भी लगाई।

यहां 1952 से 2019 तक एक उपचुनाव सहित 17 चुनावों में से 9 बार जीत हुड्डा परिवार के नाम रही। रोहतक संसदीय सीट पर सर्वाधिक 4 बार जीत और हैट्रिक बनाने का रिकॉर्ड भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम है। इस सीट पर सबसे पहले साल 1951 में भूपेंद्र हुड्डा के पिता रणबीर सिंह सांसद बने।

1957 में दूसरी बार रणबीर सिंह यहां से लोकसभा में पहुंचे। दो बार यहां से भारतीय जनसंघ को भी जीत मिली। साल 1962 में जनसंघ के लहरी सिंह ने कांग्रेस के रणधीर सिंह को करीब 20 हजार वोटों के अंतर से हराया।

1967 के चुनाव में कांग्रेस के रणधीर ङ्क्षसह यहां से सांसद बने। 1971 में भारतीय जनसंघ के मुख्तयार सिंह ने कांग्रेस के रणधीर ङ्क्षसह को करीब 5 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया। इसी प्रकार से 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के शेर सिंह ने 2 लाख 60 हजार वोटों के अंतर से कांग्रेस के मनफूल सिंह को हराया।

3मतों के अंतर के लिहाज से रोहतक सीट पर आज भी यह सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड है। 1980 में जनता पार्टी सेक्लूर के इंद्रवेश ने जनता पार्टी के शेर ङ्क्षसह को करीब 1 लाख 22 हजार वोटों से हराया और इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई।

साल 1984 में कांग्रेस के हरद्वारी लाल यहां से विधायक चुने गए। 1989 में चौधरी देवीलाल ने रोहतक संसदीय सीट से ताल ठोकी। उन्होंने कांग्रेस के हरद्वारी लाल को करीब 1 लाख 90 हजार मतों के अंतर से पराजित कर दिया। उस चुनाव में देवीलाल ने रोहतक के अलावा राजस्थान के सीकर और पंजाब के फिरोजपुर से भी चुनाव लड़ा था।

फिरोजपुर से हार गए थे जबकि सीकर से जीतने में सफल रहे। 1991 में रोहतक से पहली बार कांग्रेस की टिकट पर भूपेंद्र हुड्डा ने भाग्य आजमाया। उनके सामने थे हरियाणा की सियासत के सूरमा देवीलाल। हुड्डा ने देवीलाल को हरा दिया।

इसके बाद 1996 और 1998 के चुनाव में भी हुड्डा ने देवीलाल को पराजित कर जीत की हैट्रिक लगाई। हालांकि साल 1999 में देवीलाल ने लोकदल से इंद्र ङ्क्षसह को मैदान में उतारा और हुड्डा को पराजित करने में कामयाब रहे। इसके बाद साल 2004 में हुड्डा फिर से विजयी हुए। हुड्डा के अक्तूबर 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने यहां से जीत हासिल की।

इसके बाद दीपेंद्र ने 2009 व 2014 के चुनाव में जीत दर्ज कर अपने पिता की तरह हैट्रिक लगाई। 2019 के विधानसभा चुनाव में दीपेंद्र भाजपा के डा. अरङ्क्षवद शर्मा के सामने चुनाव हार गए। दीपेंद्र हुड्डा के नाम रोहतक सीट से दो और भी रिकॉर्ड शामिल हैं।

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र ने इनैलो के नफे ङ्क्षसह राठी को करीब 4.44 लाख वोटों से पराजित किया जो हरियाणा के अब तक के संसदीय चुनाव के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। अक्तूबर 2005 में जब वे उपचुनाव जीत कर सांसद बने तो उनकी उम्र 27 साल 9 माह थी। वे हरियाणा से सांसद बनने वाले सबसे युवा चेहरा थे।

बाद में साल 2014 में 25 साल 11 माह की आयु में हिसार से सांसद बनकर दुष्यंत चौटाला ने यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। जहां सबसे अधिक वोटों का रिकॉर्ड दीपेंद्र हुड्डा के नाम है, वहीं रोहतक सीट पर सबसे कम वोट का रिकॉर्ड दीपेंद्र के पिता भूपेंद्र हुड्डा के नाम है। 1998 में हुए कांटे के मुकाबले में भूपेंद्र हुड्डा ने देवीलाल को महज 383 वोटों से हराया।

उस चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा को 2,54,951 जबकि देवीलाल को 2,54,568 वोट मिले थे। इससे हटकर देखें तो दीपेंद्र ने यहां पर हुए चुनावों में हमेशा शानदार मार्जिन से जीत दर्ज की है। 2009 के चुनाव में दीपेंद्र ने 4.44 लाख जबकि साल 2014 के चुनाव में 1.70 लाख वोटों से जीत दर्ज की।