नारायणगढ़ विधानसभा: चार बार यह लाल बना विधायक, दो बार बेटा, एक बार बहू

 

हरियाणा में बेशक तीन लाल चौधरी देवीलाल, चौधरी बंसीलाल और चौधरी भजनलाल की एक ल बी पर परा रही है। इन तीनों लालों ने ही प्रदेश में ल बे समय तक शासन किया। पर नारायणगढ़ सीट पर एक ऐसा लाल हुआ जो खुद चार बार विधायक बना। 2 बार उनका बेटा विधायक चुना गया। 1 बार उनकी पुत्रवधु विधायक बनी। यानी कुल मिलाकर 13 चुनाव में से 7 बार विधायक चुने गए। ये लाल थे लाल सिंह।

लाल सिंह पहली बार 1967 के चुनाव में नारायणगढ़ से विधायक चुने गए और वे दो बार भजनलाल की सरकार में मंत्री भी रहे। कुल मिलाकर देखें तो नारायणगढ़ में अब तक 13 सामान्य चुनाव हुए हैं। 6 बार कांग्रेस को जीत मिली। एक-एक बार हविपा, बसपा और भाजपा के प्रत्याशी विधायक चुने गए। दो बार आजाद विधायक चुने गए। दो बार लोकदल के विधायक निर्वाचित हुए।

साल 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लाल सिंह ने भारतीय जनसंघ के रामस्रुप को 8163 वोटों के अंतर से पराजित किया। 1968 में लाल ङ्क्षसह दूसरी बार विधायक बने। इस बार उन्होंने भारतीय क्रांति दल के जगत नारायण को 11160 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया। साल 1972 में जगजीत सिंह कांग्रेस की टिकट पर नारायणगढ़ से विधायक बने। उन्होंने आजाद उम्मीदवार साधुराम को करीब 7262 वोटों के अंतर से हराया था।

1977 में लाल सिंह जनता पार्टी के उम्मीदवार थे। जनता पार्टी की लहर के बीच लाल ङ्क्षसह ने कांग्रेस के प्रत्याशी जगजीत सिंह को 8427 वोटों के अंतर से पराजित किया। लाल सिंह भी उन कुछ विधायकों में शामिल थे जो साल 1979 में भजनलाल के खेमे में चले गए थे। उस समय भजनलाल ने जनता पार्टी के विधायकों को अपने साथ करके चौधरी देवीलाल की सरकार गिरा दी थी। तब भजनलाल ने अपने पहले मंत्रिमंडल में लाल सिंह को उपमंत्री भी बनाया था।

1982 में लाल सिंह नारायणगढ़ से चौथी बार विधायक चुने गए। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के जगजीत सिंह को पराजित किया। 1982 में लाल सिंह आजाद विधायक चुने गए थे और वे दूसरी बार चौधरी भजनलाल की कैबीनेट में मंत्री बने। उस समय वो किस्सा भी सामने आया था जब लाल सिंह एक आईएएस ऑफिसर के कमरे में फर्श पर हाथ जोड़कर बैठ गए थे।

1987 में लोकदल की लहर थी। पर नारायणगढ़ से आजाद विधायक जगपाल सिंह विधायक बने। जगपाल ङ्क्षसह ने लोकदल के साधुराम को करीब 12093 वोटों के अंतर से हराया था। 1991 में पहली बार नारायणगढ़ से बसपा का खाता खुला। 1991 के विधानसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी सुरजीत कुमार ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 4538 वोटों के अंतर से पराजित किया।

साल 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के राजकुमार ने बसपा के मान सिंह को करीब 8047 वोटों के अंतर से हराया और पहली बार विधायक चुने गए। साल 2000 के चुनाव में इनैलो के पवन कुमार ने कांग्रेस के लाल सिंह को 7433 वोटों के अंतर से हराया।

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में लाल सिंह के बेटे रामकिशन ने सियासत में एंट्री की। 2005 के विधानसभा चुनाव में रामकिशन ने इनैलो के पवन कुमार को करीब 7763 वोटों के अंतर से हराया। 2009 के विधानसभा चुनाव में रामकिशन दूसरी बार विधायक बनने में कामयाब रहे। इस बार उन्होंने इनैलो के राम सिंह को करीब 8320 वोटों के अंतर से पराजित कर दिया।

2014 के विधानसभा चुनाव में नारायणगढ़ से नायब सिंह सैनी विधायक चुने गए। भाजपा का पहली बार खाता खुला। नायब ङ्क्षसह सैनी ने कांग्रेस के रामकिशन को 24361 वोटों के अंतर से हरा दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में लाल सिंह की पुत्रवधु शैली ने सियासत में दस्तक दी। शैली चोधरी ने भाजपा के सुरेंद्र सिंह को 20600 वोटों के अंतर से हराया।